भारत का मुद्रा प्रसार अप्रैल में शुरू हुए इस वित्त वर्ष के पहले चार महीने के दौरान केवल 500 अरब रुपये तक ही बढ़ा है, जो एक साल पहले की समान अवधि की रफ्तार से करीब आधा है।
एक सरकारी बैंक से संबद्ध व्यापारी ने कहा कि आर्थिक गतिविधि पूरी तरह से वैश्विक महामारी से पहले वाले स्तर पर लौट आई है और इसलिए हड़बड़ी में नकदी निकालने की शायद ही कोई जरूरत पड़े, जिससे नकदी में गिरावट आ रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जुलाई के दौरान नकदी प्रसार में 508 अरब रुपये (6.38 अरब डॉलर) का इजाफा हुआ, जबकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 928 अरब रुपये और वर्ष 2020-21 में, जो लॉकडाउन का शीर्ष समय था, यह 2.25 लाख करोड़ रुपये रहा।