बैंकों द्वारा जिंस क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋणों पर अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निगाहें रहेंगी।
केंद्रीय बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में यह फैसला किया है कि जिंस क्षेत्र को दिया जाने वाला ऋण रिजर्व बैंक की निगरानी समीक्षा के दायरे में रहेगा।रिजर्व बैंक ने बैंकों से यह भी कहा है कि वे चावल, गेहूं, तिलहन और दालों जैसे कृषि जिंसों के लिए व्यापारियों को दिए जाने वाले ऋण की समीक्षा करें।बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि कारोबारियों को ऋण मुहैया कराते समय सावधानी बरतें, ताकि बैंक की राशि का इस्तेमाल जमाखोरी के लिए न किया जाए।
गौरतलब है कि बैंक खातों की पहली समीक्षा आगामी 15 मई तक पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद इस की निगरानी समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक के पास भेज दिया जाएगा।आरबीआई के गर्वनर वाई वी रेड्डी ने बताया, ‘हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि किसी भी गलत काम, खासतौर से जमाखोरी के लिए बैंक राशि का गलत इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा बैंकिंग चैनल के जरिए आम लोगों को सेवाएं मुहैया कराई जाएगी।’
उल्लेखनीय है कि बैंक कमोडिटी फाइनैंशियल क्षेत्र में काफी सक्रिय है। बैंक वेयरहॉउस रिसीट फाइनैंसिंग के जरिए अग्रिम राशि मुहैया कराती है। इंडसइंड बैंक के एमडी और सीईओ रमेश सोबती ने बताया, ‘आरबीआई द्वारा उठाया गया कदम इस बात को आश्वस्त करने के लिए है कि जिंसों का भंडारण कहीं जमाखोरी में तब्दील न हो जाए।
बैंकों द्वारा कभी-कभी वेयरहॉउसिंग रिसीट फाइनैंसिंग के जरिए कारोबारियों को राशि मुहैया कराई जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक उन राशि पर नजर रखना चाहती है, जो जमाखोरी को बढ़ावा देती है और जिसके परिणामस्वरूप जिंसों के मूल्यों पर बेतहाशा दबाव पड़ता है।’ सोबती ने यह भी बताया, ‘आरबीआई द्वारा समीक्षा का मुख्य उद्देश्य बैंकों के जरिए मुहैया कराई जाने वाली राशि पर नजर रखना है।’