भारत के नागर विमानन क्षेत्र में पिछले 2 साल में बड़ा बदलाव आया है। भारत की विमानन कंपनियों ने 1,150 विमानों के ऑर्डर दिए हैं, जिनकी डिलिवरी साल 2035 तक होनी है। यह अभूतपूर्व तेजी नए नागरिक विमानन मंत्री के सामने चुनौतियां और जटिलताएं पैदा कर रही है।
संयुक्त अरब अमीरात और कतर की ओर से द्विपक्षीय अधिकार बढ़ाने को लेकर अनुरोध एक अहम मसला है। वर्षों से एमिरेट्स, एतिहाद और कतर एयरवेज जैसी कंपनियां भारत से उड़ान की संख्या बढ़ाने को लेकर दबाव बना रही हैं। अभी करीब 70 फीसदी भारतीय यात्री उनके केंद्रों का इस्तेमाल उत्तर अमेरिका और यूरोप के ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में करते हैं।
इसने एयर इंडिया जैसी कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है, जो अपने नए ऑर्डर किए गए विमानों का इस्तेमाल करके इन क्षेत्रों में अपनी उड़ान बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
एयर इंडिया के सीईओ और एमडी कैंपबेल विल्सन ने पिछले सप्ताह कहा था कि यूएई और कतर को ज्यादा द्विपक्षीय अधिकार दिए जाने से एयर इंडिया की संभावनाएं कमजोर होंगी। उन्होंने इसे अपने पैरों के नीचे से कालीन खींच लेने जैसा करार दिया था।
बहरहाल भारत की विमान कंपनियों की इस मामले में राय अलग-अलग है। एयर इंडिया और स्पाइसजेट ने अतिरिक्त अधिकार दिए जाने का विरोध किया है और सरकार से अनुरोध किया है कि वह अपने प्रमुख भारतीय हवाईअड्डों को केंद्र के रूप में विकसित करने पर ध्यान दे।
वहीं अकासा एयर और इंडिगो ने समग्र विश्लेषण की मांग की है। नए मंत्री को इन विपरीत मांगों से निपटना होगा। साथ ही भूराजनीतिक असर पर भी विचार करना होगा।
बहरहाल उड्डयन मंत्रालय भारत के प्रमुख हवाईअड्डों को दुबई, अबूधाबी और दोहा की तर्ज पर केंद्र के रूप में विकसित करने की नीति पर काम कर रहा है। इसमें प्रमुख चिंता धन की है।
एयर इंडिया के मुख्य वाणिज्यिक और ट्रांसफॉर्मेशन ऑफिसर निपुण अग्रवाल का कहना है कि दिल्ली और मुंबई जैसे निजी हवाईअड्डों पर सरकार के साथ राजस्व साझा करने की व्यवस्था के कारण अतिरिक्त बोझ है। पिछले सप्ताह उन्होंने धन जुटाने के लिए लीक से हटकर विचार करने की जरूरत पर जोर दिया था।
भारत के प्रमुख हवाईअड्डों का तेजी से विस्तार हो रहा है। वहीं नोएडा और नवी मुंबई में नए हवाईअड्डे तैयार हो रहे हैं। इस वृद्धि के कारण विमान रखरखाव इंजीनियरों, सुरक्षा कर्मियों, हवाई यातायात नियंत्रकों, आव्रजन अधिकारियों, पायलटों और केबिन क्रू सदस्यों सहित आवश्यक मानव संसाधन तैयार करने में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सक्रिय भूमिका की जरूरत बढ़ गई है। विमानन परामर्श फर्म कापा इंडिया ने पिछले सप्ताह प्रमुख विमानन कर्मचारियों की भारी कमी को लेकर चेताया था।