वैश्विक जलवायु मंच पर ‘सामान्य, लेकिन वितरित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं’ (सीबीडीआर-आरसी) के लिए भारत के रुख को दोहराते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार के कार्यालय ने जलवायु वित्त और उत्सर्जन में कमी के लिए विकसित देशों पर जिम्मेदारी डालने की वकालत की है।
आर्थिक सलाहकार ने कहा है, ‘विकसित देश जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा से हटकर तत्काल पूरी तरह से हरित और अक्षय ऊर्जा की ओर जाने की वकालत कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में विकसित देश कई दशक पहले चरम पर थे, और अब 2050 तक सब कुछ बदल देना चाहते हैं। इसने सीबीडीआर-आरसी सिद्धांत को उलट दिया है।’
एक लेख में विकसित देशों की ऐतिहासिक जिम्मेदारी का उल्लेख करते हुए जलवायु कार्रवाई में उनकी अधिक भूमिका पर जोर दिया है।
विकसित देशों द्वारा जलवायु कार्रवाई के वित्तपोषण पर जोर देते हुए कहा गया है कि विकसित देशों के कार्बन उत्सर्जन का खामियाजा विकासशील देशों को भुगतना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों व अन्य स्वतंत्र अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया है कि विकसित देश जलवायु कार्रवाई में विफल रहे हैं।