वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि 2023 के आगामी केंद्रीय बजट को वृद्धि की गति बरकरार रखने और महंगाई को ध्यान में रखते हुए ‘बहुत सावधानी से तैयार’ किया जाएगा। उन्होंने इसे भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी बताया है।
वाशिंगटन डीसी के ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘आगामी बजट के बारे में कुछ विशेष बता पाना अभी जल्दबाजी होगा और यह मुश्किल भी है। लेकिन मोटे तौर पर कहें तो वृद्धि की प्राथमिकताएं सबसे ऊपर रहेंगी। महंगाई दर की चिंताओं से भी निपटना होगा। लेकिन फिर सवाल उठेगा कि आप वृद्धि को किस प्रकार बरकरार रखेंगे।’
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के साथ जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में भाग लेने के लिए वाशिंगटन डीसी पहुंची हैं।
सीतारमण की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब आईएमएफ ने हाल में भारत के वित्त वर्ष 23 के वृद्धि अनुमान को घटा दिया है। आईएमएफ को अब वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि पहले एजेंसी ने 7.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। आईएमएफ ने कहा है, ‘2022-23 में भारत की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
यह जुलाई में लगाए गए अनुमान से 0.6 प्रतिशत कम है। पहले के अनुमान की तुलना में दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में कमजोर स्थिति और बाहरी मांग उम्मीद से कम रहने के कारण वृद्धि के अनुमान में कमी की गई है।’बुधवार के आधिकारिक आंकड़े से पता चलता है कि उपभोक्ता मूल्य पर आधारित महंगाई दर (सीपीआई) सितंबर महीने में बढ़कर 5 महीने के उच्च स्तर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह लगातार नवां महीना है, जब खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक द्वारा तय महंगाई दर की ऊपरी सीमा से भी ऊपर चल रही है।
फरवरी में पेश किए जाने वाले बजट के लिए तैयारियां दिसंबर से शुरू हो जाती हैं। उन्होंने कहा, ‘यही तो देखना है कि इनके बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि महामारी से उबरकर भारतीय अर्थव्यवस्था ने जो गति पाई है वह अगले साल भी कायम रहे।’वित्त मंत्री ने कहा, ‘इसलिए इस बजट को बहुत ही ध्यानपूर्वक कुछ इस तरह बनाना होगा कि वृद्धि की गति बरकरार रह सके।’
एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि सरकार ऐसी स्टार्टअप से बात करने के लिए तैयार है जो देश से जाने पर विचार कर रहे हैं और उनके मुद्दों का समाधान इस तरह निकालने का प्रयास करेगी जिससे कि उन्हें देश में ही अपना आधार बनाए रखने में मदद मिले। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं स्टार्टअप से संवाद किया है और सरकारी नीतियों की वजह से अनुकूल माहौल बना है जिसके परिणामस्वरूप आज भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री और स्टार्टअप के बीच संवाद करवाया है, यह पता लगाने के लिए कि वे भारत से क्या चाहते हैं। हमने उनकी चिंताओं का समाधान करने का अधिकाधिक प्रयास किया है। यही वजह है कि 2020 से 2021 के बीच, महज एक साल में यूनिकॉर्न की संख्या 100 पर पहुंच गई है।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने दूसरों से सुना है कि वे (स्टार्ट-अप) सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात जा रहे हैं।
