अर्थव्यवस्था

Budget 2024: बजट पूर्व परामर्श 5 जुलाई को संपन्न, 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी वित्त मंत्री सीतारमण

आगामी बजट के लिए नौकरी और विकास के मसलों पर 19 जून से 120 से अधिक आमंत्रित परामर्शदाताओं से व्यक्तिगत रूप से विचार-विमर्श शुरू हुआ था।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- July 07, 2024 | 9:39 PM IST

Budget 2024: वित्त मंत्रालय ने बजट पूर्व परामर्शों का 5 जुलाई को समापन किया है। रविवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार निर्यातकों और कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, एमएसएमई, ऊर्जा, आधारभूत ढांचा क्षेत्र सहित अन्य 10 पक्षों के साथ बजट पूर्व परामर्श हुए। आगामी बजट के लिए नौकरी और विकास के मसलों पर 19 जून से 120 से अधिक आमंत्रित परामर्शदाताओं से व्यक्तिगत रूप से विचार-विमर्श शुरू हुआ था।

भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार तीसरी बार सत्ता में आने पर अपना पहला पूर्ण बजट 23 जुलाई को पेश करेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते महीने बजट 2024-25 पर सुझाव प्राप्त करने के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों से मुलाकात भी की थी।

वित्त मंत्री को देश में जारी आर्थिक चिंताओं को हल करने के लिए सुझाव मिले। इस क्रम में राजकोषीय समेकन के पथ पर आगे बढ़ने, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) का विस्तार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों तक करना और श्रम साध्य क्षेत्रों में नौकरियों का सृजन व उपभोग को बढ़ाने के सुझाव मिले।

उद्योग प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री के साथ विचार-विमर्श में सुझाव दिया था कि नौकरी सृजन के उपायों पर जोर दिया जाए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया था कि छात्रों को बजटीय मदद मुहैया करवाई जाए और विशेषज्ञों को जेनएआई कोर्स करने के लिए मदद दी जाए।

किसान संघों ने आगामी बजट की चर्चा में यह प्रस्ताव भी पेश किया गया कि पीएम किसान मदद में 6,000 रुपये सालाना दी जाने वाले राशि को बढ़ाकर 8,000 रुपये सालाना किया जाए और किसानों को सभी सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए दी जाएं। दरअसल आम चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीद से कम प्रदर्शन आने के मद्देनजर यह मांग उठाई गई है।

श्रमिक यूनियनों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण रोकने का भी सुझाव दिया है।

औद्योगिक निकायों ने वित्त मंत्री से मांग की है कि संशोधित अनुमानों की तुलना में पूंजीगत व्यय को 25 फीसदी बढ़ाया जाए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों – आवास, कृषि, वेयरहाउसिंग, सिंचाई आदि को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध हो पाएंगे। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीगत व्यय बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरियों को बढ़ावा मिलेगा और इससे मांग भी बढ़ेगी।

वित्त मंत्रालय आरबीआई के 2.11 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम लाभांश को किस तरह इस्तेमाल करता है, इस पर भी करीबी नजर रखी जाएगी। आरबीआई के इस लाभांश से सरकार को राजकोषीय सहायता मिलेगी और इससे व्यय अपेक्षाओं को प्रबंधित करने में पर्याप्त गुंजाइश मिलेगी।

First Published : July 7, 2024 | 9:39 PM IST