केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट के पहले होने वाली बैठक में सोमवार को मजदूर संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने और 4 श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग की है।
ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इंदुप्रकाश मेनन ने कहा कि उन्होंने न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 26,000 रुपये महीने करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा, ‘सभी 4 श्रम संहिताएं वापस ली जानी चाहिए और उन्हें रद्द किया जाना चाहिए। 29 श्रम कानूनों को बहाल किया जाना चाहिए। न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये महीने से कम नहीं होना चाहिए और इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस में आम राय से की गई सिफारिश की तर्ज पर इंडेक्शन होना चाहिए।’
भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय संगठन सचिव बी सुरेन्द्रन ने कहा कि ट्रेड यूनियनों ने यह भी अनुरोध किया है कि मनरेगा कवरेज मौजूदा 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमने कृषि और संबंधित गतिविधियों को इससे जोड़ने का भी सुझाव दिया है।’ट्रेड यूनियनों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने को भी कहा है। सुरेंद्रन ने कहा, ‘हमने खासकर सरकार से कहा है कि ओपीएस फिर से लाई जानी चाहिए। सरकार एनपीएस में कुछ बदलाव कर रही है।
बगैर सुनिश्चित पेंशन के यह स्वीकार्य नहीं हो सकता।’मजदूर संगठनों ने सार्वजनिक उद्यमों (पीएसयू) का निजीकरण रोकने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि बजट का ध्यान ग्रामीण विकास, सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों (एमएसएमई), बुनियादी ढांचे, निर्यात और कौशल विकास पर होना चाहिए।
बैठक में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उपाध्यक्ष विद्यासागर गिरि, हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धु, सेंट्रल इंडियन ट्रेड यूनियंस के महासचिव तपन कुमार सेन, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर के सचिव रमेश पाराशर, सेल्फ एंप्लायड वीमंस एसोसिएशन की राष्ट्रीय सचिव मनाली शाह, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के महासचिव राजीव डिमरी, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन के कोषाध्यक्ष के नटराजन, नैशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक जायसवाल, ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर के राष्ट्रीय महासचिव एसपी तिवारी शामिल हुए।