भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2026 तक 745 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) ने अनुमान जताते हुए बताया कि इससे केंद्रीय बैंक को रुपये के एक्सचेंज रेट को कंट्रोल करने में ज्यादा सहूलियत होगी।
BofA के एनालिस्ट राहुल बजोरिया और अभय गुप्ता ने शुक्रवार को एक नोट में लिखा कि मॉनेटरी अथॉरिटी ‘बड़े विदेशी मुद्रा भंडार रखने को लेकर सहज दिख रही है,’ क्योंकि वह आकस्मिक तौर पर आने वाले बाहरी जोखिम (contingent external risks) के खिलाफ बफर बनाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि भारत के भंडार की पर्याप्तता (India’s reserves adequacy) अन्य प्रमुख उभरते बाजारों के मुकाबले मजबूत है, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।
भारत के पास 692 अरब डॉलर के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है, जो देश के शेयरों और बॉन्ड्स में बढ़ते विदेशी निवेश से बढ़ा है। यह राशि रुपये को बाहरी झटकों से स्थिरता प्रदान करती है, और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इसका उपयोग करेंसी में बहुत उतार-चढ़ाव को सीमित करने के लिए करता है। यह उतार-चढ़ाव अभी रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब मंडरा रहा है।
एनालिस्ट्स के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी भुगतान संतुलन अधिशेष (balance-of-payments surplus) की वजह से होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि चालू खाता घाटा कम हो रहा है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बाजार की अस्थिरता के समय एक ढाल के रूप में काम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने की जरूरत पर बार-बार जोर दिया है।