वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए मुद्रास्फीति पर काबू पाना बेहद जरूरी है। मगर उन्होंने यह भी कहा कि आपूर्ति को दुरुस्त करने के बजाय केवल ब्याज दर को हथियार बनाने से महंगाई का पूरा इलाज नहीं हो पाएगा।
सीतारमण CII B20 शिखर सम्मेलन इंडिया 2023 को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि महंगाई लगातार ऊंची बनी रही तो मांग कमजोर पड़ेगी और ब्याज दरें काफी समय तक ऊपर रहीं तो आर्थिक सुधार में रोड़ा बन जाएंगी।
अनाज, सब्जियों, दालों और मसालों की आसमान छूती कीमतों के कारण जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी हो गई, जो पिछले 15 महीने में इसका सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की इस बार की समीक्षा में सितंबर तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 6.2 फीसदी कर दिया और पूरे वित्त वर्ष में इसका आंकड़ा 5.4 फीसदी रहने की बात कही है। मगर उसने रीपो दर 6.5 फीसदी ही रहने दी।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज की स्थिति में केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति काबू करने के साथ वृद्धि और उससे जुड़ी प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा, ‘मुद्रास्फीति से निपटने के लिए केवल ब्याज दर इस्तेमाल करने के अपने नुकसान हैं। राजकोषीय घाटे पर भी लगाम लगाने की जरूरत है वरना मुद्रास्फीति को काबू में नहीं किया जा सकता।’
आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने की जरूरत पर जोर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया अगले 50 से 60 वर्षों में आपूर्ति श्रृंखला में एक और झटका बरदाश्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला में एक और झटका बरबाद कर देगा। केवल एक उपाय सबके लिए कारगर नहीं हो सकता।’
वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने के लिए मुख्य प्राथमिकताओं की बात करते हुए सीतारमण ने निवेश बढ़ाने का आह्वान किया ताकि वृद्धि को रफ्तार दी जा सके।
सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च बढ़ाए जाने से निजी निवेश भी बढ़ने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकतर पर्यवेक्षकों को निजी पूंजीगत खर्च में तेजी के संकेत मिल रहे हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि 2023-24 के बजट में पूंजीगत व्यय करीब 33 फीसदी बढ़ाया गया।
उन्होंने बताया कि कुल व्यय में पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 2018 में 12.3 फीसदी थी जो 2024 में बढ़कर 22.4 फीसदी हो गई। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने राज्यों को अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में राज्यों का पूंजीगत व्यय साल भर पहले के मुकाबले 74.3 फीसदी बढ़ गया। इसी दौरान केंद्र के पूंजीगत व्यय में 59.1 फीसदी वृद्धि हुई।’
उन्होंने कहा कि कि श्रम बल की भागीदारी बढ़ानी होगी और इसके लिए उपयुक्त नीतियां बनानी होंगी। सीतारमण ने कहा कि भारत की वृद्धि को रफ्तार देने के लिए एफडीआई और विदेशी पूंजी प्रवाह काफी महत्त्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए सरल एवं उपयुक्त नियम बनाए जा रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘कुल विदेशी निवेश की सीमाओं को बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।’वित्त मंत्री ने जलवायु परिवर्तन के लिए वित्तीय सहायता देने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश की भी जरूरत बताई।
उन्होंने कहा, ‘कोई भी देश वैश्विक कमी को अपने दम पर पूरा नहीं कर सकता। इसके लिए हर किसी को अपने तथा सभी के लिए प्रयास करने होंगे।’
ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उसके लिए हो रहे काम की रफ्तार को देखते हुए समझौता इस साल पूरा हो जाने की उम्मीद है।
उन्होंने ब्रिटिश कारोबारी करण बिलिमोरिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘ब्रेक्सिट हो गया है लेकिन आप यूरोप, नॉर्डिक और ईएफटीए देशों के लिए सीमा की भूमिका निभा सकते हैं। एक एफटीए का असर दोनों देशों के दूसरे एफटीए पर पड़ सकता है।’