राष्ट्रीय राजधानी में विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमतें पिछले महीने के मुकाबले इस महीने सितंबर में 14 फीसदी बढ़ गई हैं। पिछले महीने विमान ईंधन की कीमत 98,508 रुपये प्रति किलो लीटर थी जो सितंबर में बढ़कर 1.12 लाख रुपये प्रति किलो लीटर हो गई। विमान ईंधन की कीमत में यह लगातार तीसरी वृद्धि थी। इस कारण सितंबर के अंत तक हवाई किराये में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि आने वाले महीनों में त्योहारों का मौसम शुरू हो जाएगा।
पिछले साल की तुलना में विमान ईंधन की कीमतों में 7 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले साल सितंबर में ईंधन की कीमत 1.21 लाख प्रति किलोलीटर थी। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स के वरिष्ठ निदेशक (कंसल्टिंग) जगनारायण पद्नाभन ने कहा, ‘ आमतौर पर किसी भी विमान कंपनी के हवाई किराये में एटीएफ कीमतों का करीब 40 फीसदी असर होता है।’
विश्लेषकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में त्योहारों के मौसम के दौरान किराया बढ़ने से हवाई यात्रा महंगी होगी। पद्मनाभन ने कहा, ‘सितंबर एक कमजोर महीना है और छुट्टियों का मौसम (जिसमें दीवाली समेत अन्य त्योहार हैं) शुरू होने से पहले अक्टूबर के मध्य तक यह एक हद तक कमजोर ही रहेगा।
इसलिए, एटीएफ कीमतों में वृद्धि को तुरंत लागू करना विमानन कंपनियों के लिए एक चुनौती होगी। हो सकता है कि त्योहारों के दौरान वे टिकटों की कीमतें बढ़ाकर इसका कुछ हिस्सा हासिल कर सकें।’
विमानन कंपनियों को अपने टिकट का मूल्य निर्धारित करने के लिए एक रणनीति बनानी होगी क्योंकि विमानों के ईंधन की कीमतों में समय-समय पर उतार-चढ़ाव होता रहता है।
इक्रा लिमिटेड के उपाध्यक्ष और सेक्टर हेड सुप्रिय बनर्जी का कहना है, ‘ विमानन कंपनियां वर्षों के अपने संचालन में एटीएफ की कीमतों में उतार-चढ़ाव देख रही हैं और उन्होंने मूल्य निर्धारण के साथ-साथ आंतरिक लागत नियंत्रण दोनों के माध्यम से एटीएफ की कीमतों में इस तरह की वृद्धि से निपटने के लिए विभिन्न रणनीतियां तैयार की हैं।
कुल मिलाकर, विमानन कंपनियां अपने रास्क-कास्क (प्रति उपलब्ध सीट किलोमीटर राजस्व और प्रति उपलब्ध सीट किलोमीटर लागत) का विस्तार करने की रणनीतियों पर गौर करती हैं, जो उनकी मुख्य लाभप्रदता का कारण बन जाती है। ‘