कीमतों में वृद्धि हो जाने का हवाला देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 टीकों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) माफी से इनकार किया है, वहीं राज्यों के वित्त मंत्री और कर विशेषज्ञ इस तर्क को लेकर संदेह जता रहे हैं।
टीके पर जीएसटी खत्म करने से विनिर्माता इस बात से चिंतित हो सकते हैं कि उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) नहीं मिलेगा और इससे अंतिम उपभोक्ता के लिए कीमत बढ़ सकी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे इनपुट आपूर्ति शृंखला पर कर माफ किए जाने से टीके की कीमत में कमी लाने में मदद मिलेगी।
अन्य विकल्प के रूप में विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार कोविड-19 के टीके को जीएसटी के तहत ‘जीरो रेटेड सप्लाई’ में अधिसूचित कर सकती है, जिससे विनिर्माताओं को इनपुट टैक्स रिफंड मिल सकेगा। जीरो रेटेड सप्लाई में कोई कर नहीं लगता है और आईटीसी रिफंड मिलता है। इस तरह की अनुमति अभी केवल निर्यात या विशेष आर्थिक क्षेत्रों में आपूर्ति में है।
जीएसटी परिषद में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि टीके सहित कोविड से संबंधित सामग्री की पूरी आपूर्ति शृंखला पर जीएसटी माफ करने में कोई समस्या नहीं है। देव ने कहा, ‘टीके व अन्य कोविड संबंधी आपूर्ति और इसके कच्चे माल पर जीएसटी खत्म होना चाहिए। इसे शून्य किया जाए। इससे लागत भी कम होगी।’ उन्होंने कहा कि वह इस सिलसिले में केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखेंगे और जीएसटी परिषद की अगली बैठक में यह मसला उठाएंगे।
झारखंड के एक अधिकारी ने भी देव का समर्थन करते हुए कहा कि कोविड-19 की पूरी आपूर्ति शृंखला पर जीएसटी माफ किया जाना चाहिए, भले ही यह महामारी के तूफान में अस्थायी कदम के रूप में किया जाए। केपीएमजी के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि जीएसटी में छूट दिए जाने से इनपुट टैक्स क्रेडिट में व्यवधान आएगा। उन्होंने कहा कि इस उत्पाद को जीरो रेटेड बनाया जाए, जिससे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिल सकेगा।
एएमआरजी एसोसिएट्स के रजत मोहन का कहना है कि जीएसटी खत्म किया जाना एक ट्रेंड बन सकता है और राज्य सरकारें इस माध्यम से माफी की मांग आगे भी कर सकती हैं। मोहन ने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा इस मामले में विशेष समाधान की जरूरत हो सकती है। मोहन ने कहा, ‘पूरी परिषद को इसके बारे में समझा पाना कठिन काम होगा।’
टीका विनिर्माताओं के आईटीसी दावों की मात्रा के बारे में स्थिति साफ नहीं है, वहीं प्राइस वाटरहाउस ऐंड कंपनी के पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि जीएसटी के तहत छूट देने से विनिर्माताओं को नुकसान हो सकता है क्योंकि ज्यादातर इनपुट पर 5 प्रतिशत (टीके पर जीएसटी) से ज्यादा कर लगता है। ऐसे में इनपुट टैक्स का नुकसान विनिर्माताओं के लिए अहम है। जैन का कहना है कि टीके को जीरो रेटेड बनाना एक राह हो सकती है, लेकिन इसके लिए जीएसटी कानूनों में बदलाव करना होगा, जिसमें वक्त लगेगा।