सरकारी बैंकों से कर्ज़ लेकर उसे ना चुकाने वालों को लेकर सरकार ने सोमवार को संसद में सफाई दी। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs)ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाई, अप्रैल-सितंबर में, 42,000 करोड़ रुपये के कर्ज़ को बट्टे खाते में डाल दिया, वहीं 37,253 करोड़ रुपये की वसूली की गई।
इसे लेकर पूछे गए एक संसदीय प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 8,312 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक (PNB)ने 8,061 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 6,344 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB)ने 5,925 करोड़ रुपये के कर्ज बट्टे खाते में डाले।
वित्त राज्यमंत्री ने संसद में कहा कि इस तरह से ऋण बट्टे खाते में डालने से कर्ज लेने वालों की देनदारियां माफ नहीं होती हैं और इसलिए इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होता है। ऋण लेने वाले पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहते हैं और बैंक अपने पास उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से इन खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई जारी रखते हैं।
इससे पहले सरकार मॉनसून सत्र के दौरान संसद में ये बता चुकी है कि बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में 9.90 लाख करोड़ रुपये के कर्ज़ माफ किए हैं। 2023-24 के दौरान बैंकों द्वारा माफ किए गए कर्ज़ 1.70 लाख करोड़ रुपये थे, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 2.08 लाख करोड़ रुपये था। 2019-20 के दौरान राइट-ऑफ सबसे अधिक 2.34 लाख करोड़ रुपये था, जो अगले वर्ष 2.02 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.74 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।
आरबीआई (RBI)के दिशा-निर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, एनपीए, जिनमें वे भी शामिल हैं जिनके संबंध में चार साल पूरे होने पर पूर्ण प्रावधान किया गया है, को राइट-ऑफ के माध्यम से संबंधित बैंक की बैलेंस-शीट से हटा दिया जाता है।
वित्त वर्ष 24 में बैंकों द्वारा ऋण माफ करना पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है। वित्त वर्ष 24 में, पंजाब नेशनल बैंक ने सबसे अधिक 18,317 करोड़ रुपये के कर्ज़ माफ किए, उसके बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (18,264 करोड़ रुपये) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (16,161 करोड़ रुपये) का स्थान रहा।
निजी क्षेत्र के बैंकों में, एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने 11,030 करोड़ रुपये के कर्ज़ माफ किए; आंकड़ों के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank)का कर्ज़ 6,198 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक (Axis Bank)का कर्ज़ 8,346 करोड़ रुपये था।