आईफोन बनाने वाली ऐपल इंक के लिए ठेके पर विनिर्माण करने वाली प्रमुख ताइवानी कंपनी विस्ट्रॉन ने महज आठ महीने में न केवल अपना निवेश का वादा पूरा कर दिया, बल्कि उससे आगे भी निकल गई। उसे सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में निवेश पूरा करने के लिए चार साल का समय दिया गया था।
विस्ट्रॉन ने अगस्त, 2020 से मार्च, 2021 तक 1,255 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो सरकार से वादा किए गए कुल निवेश से 25 फीसदी अधिक है। मोबाइल फोन उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत सरकार कहा था कि पांच वैश्विक भागीदार कंपनियों में से प्रत्येक से पहले चार साल तक हर साल 250 करोड़ रुपये यानी कुल 1,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद की जाती है।
इसके साथ ही पीएलआई के तहत ऐपल इंक के लिए अपने कारखाने लगा चुकी दो वेंडर- विस्ट्रॉन और फॉक्सकॉन होन हाई संयुक्त रूप से 1,600 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी हैं। इसका मतलब है कि वे संयुक्त रूप से सरकार को अपनी निवेश प्रतिबद्धता में से 80 फीसदी पहले ही पूरी कर चुकी हैं। इन कंपनियों से यह निवेश प्रतिबद्धता चार साल में पूरी करने की उम्मीद की गई थी। तीसरी ठेका विनिर्माता पेगाट्रॉन ने अभी अपना संयंत्र स्थापित नहीं किया है। यह कदम महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि ऐपल इंक भारत को अपने मोबाइल फोन विनिर्माण एवं निर्यात का प्रमुख वैश्विक केंद्र बनाने के लिए कितनी तेजी से काम कर रही है। फिलहाल ऐपल के लिए चीन ऐसा इकलौता केंद्र है। सरकार के साथ बातचीत के आधार पर ऐपल इंक अपनी तीन वेंडरों समेत पांच साल में 3.40 लाख करोड़ रुपये कीमत के मोबाइल फोन उत्पादन की योजना बना रही है। यह वैश्विक कंपनियों के लिए सरकार के पूरे पीएलआई उत्पादन लक्ष्य (6 लाख करोड़ रुपये) का 56 फीसदी है। इसके अलावा ऐपल जितनी कीमत के फोन बनाएगी, उसमें से 80 फीसदी कीमत के फोनों का निर्यात होगा। यह पीएलआई के तहत 60 फीसदी फोन के निर्यात के सरकार के लक्ष्य से काफी अधिक है।
सूत्रों ने कहा कि ऐपल की एक अन्य वेंडर फॉक्सकॉन होन हाई भी पहले साल के अपने निवेश लक्ष्य से थोड़ा आगे निकल चुकी है। उसका निवेश 350 करोड़ रुपये से कुछ ही कम है। सूत्रों के मुताबिक फॉक्सकॉन ने इस साल व्यापक विस्तार की योजना बनाई है। उसके कई नए कारखानों का निर्माण कार्य चल रहा है। कंपनी के बाकी चार साल के निवेश का ज्यादातर हिस्सा इसी साल निवेश करने की संभावना है क्योंकि यह निर्माणाधीन कारखानों में नए संयंत्र एवं मशीनरी लगाएगी। इस मुद्दे पर विस्ट्रॉन, फॉक्सकॉन और ऐपल इंक को सवाल भेजे गए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। विस्ट्रॉन पहले ही बेंगलूरु के पास एक बड़ा कारखाना बना चुकी है और इसने नवंबर, 2020 में करीब 10,000 नए कर्मचारियों की भर्ती की थी। बाद में किसी कारण मजदूरों के साथ कुछ समस्या हो गई और कंपनी को करीब दो महीनों तक उत्पादन रोकना पड़ा। विस्ट्रॉन के भारी अग्रिम निवेश करने के बावजूद यह 2020-21 के उत्पादन लक्ष्य 4,000 करोड़ रुपये को हासिल करने में नाकाम रही। इसकी वजह कर्नाटक में कोविड-19 की पहली लहर के बाद लॉकडाउन, भारत-चीन सीमा पर झड़प के बाद कलपुर्जों के आयात में सुस्ती और दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 में कारखाने बंद रहना थे।