मोबाइल फोन नंबर में 10 के बजाय 11 अंक करने का सरकार का प्रस्ताव जीएसएम मोबाइल सेवा प्रदाताओं को बिल्कुल रास नहीं आ रहा है।
उनका कहना है कि इससे देश भर में 39 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं को दिक्कत होगी। उन्हें तीन प्रमुख सेवा प्रदाताओं को 2 अंकों वाले अनूठे और विशिष्ट कोड देने की सरकार की नीति पर भी ऐतराज है।
दूरसंचार विभाग के तकनीकी इंजीनियरिंग केंद्र ने कहा है कि हर महीने 1 करोड़ नए मोबाइल ग्राहक जुड़ रहे हैं, ऐसे में नंबरों के टोटे से बचने के लिए 11 अंकों वाले नंबर लाने चाहिए। इससे बड़ी तादाद में ग्राहक जुड़ेंगे।
लेकिन ऑपरेटरों को यह बात हजम नहीं हो रही। सेल्युलर ऑपरेटर संघ के महानिदेशक टी वी रामचंद्रन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मौजूदा नंबर प्रणाली को बदलने की कोई जरूरत ही नहीं है। इसमें फेरबदल से मौजूदा उपभोक्ताओं को दिक्कत होगी और ऑपरेटर भी परेशान होंगे क्योंकि रोमिंग संबंधी तमाम करार दोबारा करने होंगे और उपकरणों में भी तब्दीली करनी पड़ेंगी।’
दूरसंचार विभाग ने टाटा टेली को 92, आर कॉम को 93 और बीएसएनएल को 94 कोड दिए हैं, जबकि बाकी ऑपरेटरों को 98 कोड के साथ ही काम करना पड़ता है। सीओएआई की मांग है कि इन कंपनियों से भी विशिष्ट कोड छीना जाए।
