रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए लार्सन ऐंड टुब्रो ने ईएडीएस डिफेंस ऐंड सिक्योरिटी के साथ संयुक्त उद्यम बनाने की घोषणा की है।
अपनी भावी रणनीति और नए उद्यम के बारे में कंपनी के चेयरमैन और एमडी ए. एम. नाइक से बात की नेविन जॉन और पी.बी. जयकुमार ने। पेश है बातचीत के अंश :
रक्षा कारोबार में आपकी कितनी हिस्सेदारी है? क्या नए उद्यम की वजह से कंपनी के मौजूदा रक्षा कारोबार पर असर पड़ेगा?
भारत में रक्षा कारोबार से कंपनी को सालाना करीब 400 करोड़ रुपये की कमाई होती है। हालांकि इसमें ऑर्डर के हिसाब से थोड़ा उतार-चढ़ाव भी आता रहता है।
कंपनी मुख्य रूप से थल और जल सेना को रडार,सोनर सेंसर, वेपन लॉन्चि सिस्टम्स और इंजीनियरिंग सिस्टम्स के डिजाइन और कस्टमाइज्ड सॉल्यूशन उपलब्ध कराती है। नए उद्यम के जरिए कंपनी रडार, इलेक्ट्रॉनिक वेलफेयर, मोबाइल सिस्टम्स आदि उपलब्ध कराएगी। ऐसे में दोनों कंपनियों को एक-दूसरे से लाभ ही होगा।
संयुक्त उद्यम से आप कितने का कारोबार की उम्मीद करते हैं?
कंपनी को तत्काल किसी तरह की उम्मीद नहीं है। वैसे, हम पुणे के निकट तालेगांव में एसेंबलिंग और टंस्टिंग सुधिवा के विकास के लिए करीब 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उसके बाद ऑर्डर के मुताबिक, कंपनी अपने निवेश को और बढ़ाएगी।
उम्मीद है कि संयुक्त उद्यम वर्ष 2010 तक काम करना शुरू कर देगी और अगले पांच सालों में इससे करीब 2000 से 2500 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। दरअसल, भारत सालाना करीब 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद करता है।
इनमें से स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं की हिस्सेदारी 3,000 करोड़ रुपये की है, जबकि शेष उपकरणों का आयात किया जाता है। ऐसे में कारोबार को बढ़ाने के लिए तमाम अवसर उपलब्ध हैं। ईएडीएस के साथ हम उत्पादों के निर्यात की योजना भी बना सकते हैं।
क्या आप अपने इंजीनिरिंग कारोबार को अलग-अलग करने की योजना बना रहे हैं?
कंपनी के पास अभी 12 अलग डिविजन या कारोबार हैं। इसके साथ ही कंपनी 2015 तक दो और डिविजन को इसमें जोड़ने की तैयारी कर रही है, जिसके ब्लू प्रिंट पर काम चल रहा है। जहां तक परमाणु ऊर्जा की बात है, तो हमने प्रमुख रिएक्टर आपूर्तिकार्ता के साथ साझा किया है।
भारत सरकार परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रही है, जिससे कंपनी को भविष्य में अच्छे कारोबार की उम्मीद है। जहां तक कारोबार को अलग-अलग करने की बात है, तो वह आने वाले समय में इन विभागों के राजस्व पर निर्भर करेगा।
कंपनी के शिप निर्माण के कारोबार की क्या स्थिति है?
कंपनी हजिरा यार्ड में जहाजों का निर्माण कर रही है। इस कारोबार के विस्तार के लिए कंपनी ने एन्नोर में युद्धक पोत निर्माण पर करीब 1,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
कंपनी के ऑर्डर बुक की क्या स्थिति है?
हमारी ऑर्डर बुक सालाना 30-35 फीसदी की दर से बढ़ रही है। कंपनी का रक्षा कारोबार मार्जिन को बनाए रखने में महत्वूपर्ण भूमिका अदा कर रही है।
