आटोमोबाइल उद्योग में मंदी का दौर साल के अंत तक समाप्त हो सकता है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र के देश में शीर्ष संगठन भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी संघ (सियाम) के अनुसार मंदी का दौर हर सात साल बाद देखने को मिलता है।
सियाम के निदेशक सुगातो सेन का कहना है, ‘हमने पिछले दिनों वाहनों की बिक्री की वृध्दि दर में जो गिरावट देखी है वह लगभग सात वर्षों के चक्र की वजह है। यह मंदी अगले 2 से तीन महीनों तक यूं ही बनी रहेगी, लेकिन वर्ष के बाद के महीनों में उसके कुछ नरम पड़ने की उम्मीद है, जब उत्सवों का दौर शुरू होगा। अगले साल हमें वृध्दि में जबरदस्त तेजी देखने को मिलेगी।’
पिछले वित्त वर्ष में उससे पहले वर्ष के मुकाबले कारों, व्यावसायिक वाहनों और दोपहियां वाहनों की मांग में वृध्दि में अहम गिरावट देखी गई है। इस गिरावट की अहम वजहों में कच्चे माल की कीमतों में तेज वृध्दि, बढ़ती ब्याज दर और कर्ज लेने में मुश्किलें शामिल हैं। सियाम के पिछले 17 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार उद्योग जगत में ऐसी गिरावट 1992-93 में भी देखी गई थी और उसके बाद 2000-01 में भी। गौरतलब है कि दोनों बार गिरावट के बीच में 7 वर्ष का अंतर है।
विभिन्न प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियां जिसमें मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, हुंडई, बजाज ऑटो, हीरो होंडा और अन्य कंपनियां भी सियाम की सदस्य कंपनियां। ऑटो कंपनियों ने मंदी की मार का सामना करने के लिए उत्पाद में बेहद कम और समय को ध्यान में रख कर कमी के अलावा लागत में कमी और आंतरिक कार्यकुशलता को बढ़ाने के प्रयास करने शुरू किए हैं। जनरल मोटर्स इंडिया के निदेशक और वाइस प्रेजिडेंट (कॉर्पोरेट अफेयर्स) पी बालेंद्रन का कहना है, ‘उद्योग फिलहाल मंदी के दौर से गुजर रहा है।
कारोबार सिर्फ नए लॉन्च के साथ ही मिल रहा है। शोरूम में ग्राहाकों और पूछताछ में कमी काफी कम हो रही है। हमें उम्मीद थी कि पिछले महीने हम 14 से 15 प्रतिशत की वृध्दि दर दर्ज करेंगे, लेकिन यह आंकड़ा सिर्फ 6 प्रतिशत रहा। अगर इस समस्या का हल जल्द नहीं निकाला गया तो उद्योग को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।’
जनरल मोटर्स देश की चौथी सबसे बड़ी यात्री कार बनाने वाली कंपनी है, जो शेवरोले ब्रांड के तले टवेरा, स्पार्क और ऑप्ट्रा मॉडल बेचती है। ऑटोमोटिव कंपनियों के वरिष्ट अधिकारियों का कहना है कि महंगाई दर में तेज वृध्दि जो आज साफ-साफ ईंध नकी कीमतों और महंगी कर्ज दरों में देखी जा सकती है, ने ग्राहकों की खरीदने की क्षमता को कम कर दिया है।
कर्ज की उपलब्धता में आई कमी के कारण सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन उद्योग प्रभावित हुआ है। बैंकों ने दोपहियां वाहनों में कर्ज देने इसलिए भी कम किया है, क्योंकि इस क्षेत्र में बैंकों को कई डिफॉल्ट मामलों का सामना करना पड़ा है, जो उनके लिए मुश्किलों को बढ़ा देता है।
सात साल बाद
सियाम के अनुसार मंदी का दौर हर सात साल बाद देखने को मिलता है
पिछले वित्त वर्ष में उससे पहले वर्ष के मुकाबले कारों, व्यावसायिक वाहनों और दोपहिया वाहनों की मांग में अहम गिरावट देखी गई। इस गिरावट की वजह कच्चे माल की कीमतों में तेज वृध्दि, बढ़ती ब्याज दर और कर्र्ज लेने में मुश्किलें है