वीवर्क (WeWork) के अपनी भारत इकाई से बाहर निकलने से देश के को-वर्किंग रियल एस्टेट बाजार पर असर पड़ने के आसार नहीं है। उद्योग के अधिकारियों ने यह अनुमान जताया है।
कंपनी को पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से भारत की इकाई में अपनी पूरी 27.5 प्रतिशत हिस्सेदारी रियल ट्रस्टी एडवाइजरी कंपनी को बेचने की मंजूरी मिली है।
वीवर्क इंडिया में बहुलांश हिस्सेदारी (72.5 प्रतिशत) बेंगलूरु के एम्बेसी ग्रुप के पास है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारत में को-वर्किंग स्पेस की काफी मांग है और निवेशक इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए उत्सुक हैं, खास तौर पर भारत में।
हाल की एक रिपोर्ट में निजी इक्विटी सलाहकार कंपनी एवेंडस ने कहा कि भारत का लचीला (फ्लेक्स) कार्यस्थल बाजार साल 2028 तक 12.6 करोड़ वर्ग फुट तक पहुंचने का अनुमान है, जो साल 2023 के 6.1 करोड़ वर्ग फुट से ज्यादा है।
इसके अलावा को-वर्किंग स्पेस क्षेत्र की कंपनी आफिस स्पेस सॉल्यूशन लिमिटेड के 599 करोड़ रुपये के कामयाब आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) ने निवेशकों को इस क्षेत्र के प्रति और अधिक उत्साहित कर दिया है।
को-वर्किंग ऑपरेटर 91स्प्रिंगबोर्ड के मुख्य परिचालन अधिकारी समीर सिंह ने कहा, ‘यह रफ्तार न केवल बरकरार है, बल्कि आने वाले वर्षों में और भी तेज होने की उम्मीद है, जो फ्लेक्स उद्योग के उज्ज्वल भविष्य को रेखांकित करता है।’
एक अन्य को-वर्किंग स्पेस प्रदाता 315वर्क एवेन्यू के संस्थापक मानस मेहरोत्रा ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस निकासी का इस क्षेत्र में निवेशकों की धारणा पर कोई अल्पकालिक असर नहीं पड़ेगा क्योंकि हाल के दिनों में को-वर्किंग का संपूर्ण प्रदर्शन जोरदार रूप से स्थिर और सकारात्मक रहा है।’
सिंह ने कहा कि हालांकि यह महत्वपूर्ण फैसला था लेकिन यह भारतीय परिचालन या भारत में लचीले कार्यस्थल बाजार की दिक्कत के बजाय शायद वैश्विक स्तर पर वीवर्क के सामने आने वाली चुनौतियों की झलक थी।
मेहरोत्रा ने कहा कि इस निकासी से को-वर्किंग क्षेत्र की और ज्यादा कंपनियों के लिए बाजार में पैर जमाने के वास्ते ज्यादा संभावना बनेगी। एनारॉक के को-वर्किंग अनुभाग माईएचक्यू के वरिष्ठ निदेशक उत्कर्ष कवात्रा ने कहा कि वीवर्क इंडिया स्वतंत्र रूप से काम और विस्तार जारी रखेगी।