नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने कर्ज में डूबी कंपनी डीएचएफएल के संदर्भ में एनसीएलटी के मुंबई पीठ के आदेश को खारिज कर दिया है। एनसीएलटी ने डीएचएफएल के प्रशासक को कंपनी के पूर्ववर्ती प्रवर्तक कपिल वधावन की दूसरी समाधान पेशकश को ऋणदाताओं के समक्ष विचार के लिए रखने को निर्देश दिया था।
अपील न्यायाधिकरण ने पाया कि एनसीएलटी ने वधावन के दूसरे प्रस्ताव पर विचार करने का आदेश इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए पारित किया है कि डीएचएफएल की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) पहले ही बहुमत से पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस की समाधान योजना को मंजूरी दे चुकी है और प्रशासक ने इसे उसके समक्ष मंजूरी के लिए रखा है। एनसीएलएटी ने एबिक्स सिंगापुर के मामले में आए उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा, सीओसी द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने के बाद संबंधित पक्षों के बीच किसी तरह की बातचीत की गुंजाइश नहीं बचती। एनसीएलएटी की तीन सदस्यीय पीठ ने 27 जनवरी, 2022 को पारित अपने फैसले में कहा, यह फैसला एनसीएलटी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। ऐसे में यह फैसला टिकने योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।
एनसीएलएटी ने यह निर्देश सीओसी, डीएचएफएल प्रशासक और पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस की ओर से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं पर दिया है। इन याचिकाओं में एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी गई थी। इससे पहले 19 मई, 2021 को एनसीएलटी ने दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रशासक को निर्देश दिया था कि वह वधावन के दूसरे प्रस्ताव को सीओसी के समक्ष विचार, निर्णय और मतदान के लिए रखे और उसे 10 दिन के अंदर इसकी जानकारी दे। इस आदेश को सीओसी, प्रशासक और पीरामल ने अपील न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी थी। अपील न्यायाधिकरण के समक्ष इस अपील के लंबित रहने के दौरान एनसीएलटी ने सात जून, 2021 को पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड की समाधान योजना को मंजूरी देने का आदेश पारित किया था।