ग्लोबल माइनिंग कंपनी वेल इंटरनैशनल (Vale International) एस्सार समूह (Essar group) की सऊदी अरब में स्थित ग्रीन स्टील प्रोजेक्ट को लौह अयस्क (iron ore) की सप्लाई करेगी। इसके लिए भारत के एस्सार समूह ने जर्मनी की वेल इंटरनैशनल के साथ साझेदारी पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ अब प्लांट के लिए 100 प्रतिशत लौह अयस्क की सप्लाई सुरक्षित हो गई है।
दोनों कंपनियों ने अभिरुचि पत्र (letter of intent-LoI) पर 1 सितंबर को हस्ताक्षर किए थे। गुरुवार को दोनों कंपनियों ने साझा बयान जारी कर यह जानकारी दी। हालांकि, कंपनियों ने कोई फाइनैंशियल डिटेल नहीं दी। इस सौदे के जरिये ग्रीन स्टील अरेबिया (Green Steel Arabia- GSA) प्रोजेक्ट के लिए आयरन ओर की सप्लाई होगी।
Vale, वैश्विक खनन कंपनी वेल एसए (Vale SA) की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कंपनी है जो Essar को प्रति वर्ष 4 मिलियन टन (mtpa) लौह अयस्क एग्लोमेरेट्स (DR ग्रेड छर्रों और ब्रिकेट्स) की सप्लाई करेगी। वेल की ब्राजील और ओमान में फैसिलिटीज हैं और एंटिग्रेटेड स्टील प्रोडक्ट्स की हाई क्वालिटी वाले कच्चे माल की सप्लाई के लिए दुनियाभर में मशहूर है।
सऊदी अरब में एस्सार ग्रुप के हेड नौशाद अंसारी ने कहा कि Essar की 4.5 अरब डॉलर के निवेश से सऊदी अरब के रास अल खैर (Ras Al Khair) में यह एंटिग्रेटेड स्टील प्लांट लगाने की योजना है।
बता दें कि इसके पहले एस्सार ने इस परियोजना को डीआर-ग्रेड के छर्रों की आपूर्ति के लिए बहरीन स्टील के साथ भी समझौता किया था।
उन्होंने कहा, ‘वेल के साथ इस LoI और बहरीन स्टील के साथ पिछले LoI के माध्यम से, हम सऊदी स्टील प्लांट के लिए लौह अयस्क फीड की 100 प्रतिशत कच्चे माल की सप्लाई सुनिश्चित कर लेंगे।’
वेल के क्षेत्रीय निदेशक आंद्रे फिगुएरेडो (Andre Figueiredo) ने कहा, ‘4 मिलियन टन हाई ग्रेड के लौह अयस्क एग्लोमरेटेड प्रोडक्ट्स की वार्षिक आपूर्ति (annual supply ) के लिए एस्सार के साथ वेल इंटरनेशनल का LoI स्टील इंडस्ट्री, विशेष रूप से मध्य पूर्व में कच्चे माल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हमारी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता (long term commitment ) को दर्शाता है।’
आंद्रे ने कहा, ‘वेल के हाई ग्रेड के लौह अयस्क समूह के पोर्टफोलियो का अतिरिक्त मूल्य (added value), प्रतिस्पर्धी मूल्य (price competitively) और संभावित कम कार्बन फुटप्रिंट के मामले में सीधा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे कम CO2 उत्सर्जन वाले स्टील इंडस्ट्री के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।’