देश में कोविड-19 टीका तैयार करने वाली कंपनियां सरकार से बूस्टर खुराक के लिए लॉबिइंग कर रही हैं क्योंकि मांग के मुकाबले टीके की आपूर्ति अधिक है। एक दवा निर्माता कंपनी ने रॉयटर्स को बताया कि उसने रूस के स्पूतनिक टीके की 10 करोड़ और खुराक को बनाने की योजना टाल दी। वहीं दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और स्पूतनिक की भारतीय वितरक, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने कहा है कि उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से बूस्टर खुराक के लिए संपर्क किया था।
भारत ने कहा है कि इसकी प्राथमिकता देश के 94.4 करोड़ वयस्कों को टीके लगाने से जुड़ा है, हालांकि टीका विशेषज्ञ बूस्टर खुराक की जरूरत का अध्ययन कर रहे हैं। भारत में देश की आधे से अधिक वयस्क आबादी को दो खुराक दी गई है और इनमें से करीब 86 फीसदी आबादी को कम से कम एक खुराक दी गई है। देश में दी गई कुल 1.3 अरब खुराक में से 90 फीसदी कोविशील्ड टीका रहा है जो सीरम के द्वारा तैयार किया गया एस्ट्राजेनेका टीके का एक लाइसेंसीकृत संस्करण है। सरकार कुल 1.7 अरब टीके की खुराक चाहती है ताकि पूरी वयस्क आबादी को टीके लगाए जाएं। इसके अलावा सीरम की योजना है कि अगले हफ्ते तक मांग की हिस्सेदारी पूरी करने के लिए लंबित ऑर्डर का काम पूरा कर ले।
सीरम ने कहा है कि कोविशील्ड के मासिक उत्पादन को आधी करने की योजना है जो मांग की कमी की वजह से 25 करोड़ खुराक रही है। यह सात भारतीय कंपनियों में से एक है जिसके साथ रूस के सॉवरिन वेल्थ फंड आरडीआईएफ ने निर्यात और भारत में इस्तेमाल के लिए करीब एक अरब स्पूतनिक खुराक बनाने के लिए करार किया है। लेकिन सरकारी डेटा से पता चलता है कि स्पूतनिक वी टीके की केवल 12 लाख खुराक ही दी गई हैं। दो सूत्रों ने कहा कि रूस से आयातित सामग्री का इस्तेमाल कर करीब 40 खुराक तैयार की गईं जिनका निर्यात किया गया है।
‘कोविड बूस्टर से ओमीक्रोन के खिलाफ मिलती है सुरक्षा’
फाइजर ने बुधवार को कहा कि उसके कोविड-19 रोधी टीके की एक बूस्टर खुराक नए ओमीक्रोन स्वरूप से रक्षा कर सकती है, भले ही शुरुआती दो खुराक का प्रभाव काफी कम नजर आए। फाइजर और उसके सहयोगी बायोनटेक ने कहा कि प्रयोगशाला परीक्षणों में दिखा कि ओमीक्रोन के खिलाफ एक बूस्टर खुराक ने तथाकथित तटस्थ ऐंटीबॉडी के स्तर को 25 गुना बढ़ा दिया है। फाइजर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में शुरुआती प्रयोगशाला आंकड़ों की घोषणा की और बताया कि इसकी अभी तक वैज्ञानिक समीक्षा नहीं हुई है।
कंपनियां पहले से ही ओमीक्रोन को ध्यान में रखकर टीके के निर्माण के काम में जुटी हैं। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि कोविड-19 टीकों की तीसरी खुराक के साथ ऐंटीबॉडी में आने वाला उछाल प्रभावशीलता में किसी भी कमी का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त हो सकता है। ऐंटीबॉडी का स्तर बताता है कि एक टीका कोरोनावायरस के संक्रमण को कितनी अच्छी तरह रोक सकता है लेकिन वे प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा की सिर्फ एक परत भर हैं। फाइजर ने कहा कि टीके की दो खुराक अब भी गंभीर बीमारी से बचाव दे सकती हैं। भाषा