पान मसाला और तंबाकू से बने उत्पादों जैसी कर चोरी की बहुलता वाली कुछ जिंसों पर सरकार द्वारा खुदरा बिक्री मूल्य (retail selling price) पर आधारित शुल्क लगाए जाने के फैसले में देरी हो सकती है। साथ ही इन क्षेत्रों में कर की चोरी पर लगाम लगाने के लिए चरणबद्ध तरीके से सख्ती की नीति अपनाई जा सकती है।
खुदरा विक्रय मूल्य पर आधारित शुल्क का मतलब यह होगा कि विनिर्माताओं को इन उत्पादों के अंतिम खुदरा मूल्य पर उपकर का भुगतान उस समय करना होगा, जब उनका माल फैक्टरी से बाहर निकलेगा।
राज्यों व केंद्र के राजस्व अधिकारियों की फिटमेंट कमेटी ने कहा कि ‘मुआवजा उपकर की दरें निर्धारित करने’ को लेकर आने वाली चुनौतियों को लेकर उनके सामने पक्ष रखा गया है, खासकर उन मामलों में, जहां खुदरा बिक्री की कीमत की कानूनी रूप से जरूरत नहीं होती है।
वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दर तय करने वाली समिति पिछली अधिसूचना में संशोधन करके ऐसी वस्तुओं के लिए 31 मार्च को लागू दर को अधिसूचित करने की सिफारिश कर सकती है।
सेक्टर के लिए आरएसपी पर आधारित GST उपकर की दर 1 अप्रैल से प्रभावी
बहरहाल यह निश्चित नहीं है कि क्या यह मसला सभी श्रेणी की वस्तुओं से जुड़ा है या सिर्फ उनसे जुड़ा मसला है, जहां कठिनाई आ रही है। इस सेक्टर के लिए आरएसपी पर आधारित GST उपकर की दर 1 अप्रैल से प्रभाव में आई। इसके पीछे विचार यह था कि पहले के दौर में 28 प्रतिशत कर के ऊपर लगने वाले उपकर को हटाया जा सके।
पहले के दौर में तंबाकू उत्पाद पर उपकर की दर 290 प्रतिशत है, जिसमें पान मसाला पर उपकर 135 प्रतिशत है। इसके अलावा कर में उपकर का हिस्सा वास्तविक विक्रय मूल्य पर आधारित है।
बहरहाल इन सेक्टर में कर चोरी को रोकने के लिए सख्त अनुपालन के पहलुओं की जांच कर रही समिति जीएसटी परिषद से इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने को कह सकती है।
कड़ी व्यवस्था का प्रस्ताव
ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी के नेतृत्व में बने मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने कड़ी व्यवस्था का प्रस्ताव किया है, जिसे परिषद ने 18 फरवरी को अपनी पिछली बैठक में मंजूरी दी थी।
कानून समिति के मुताबिक जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए जरूरी तकनीकी संशोधनों की जांच करेगा। ऐसा विचार है कि सुझाए गए कदम से अतिरिक्त अनुपालन की जरूरत पड़ेगी, एक साल की अवधि के बाद इसकी समीक्षा की जरूरत होगी।
बातचीत से जुड़े परिषद के एक सदस्य ने कहा कि कि स्टैंपिंग, अनिवार्य ई इनवाइसिंग (टर्नओवर से इतर), अनिवार्य ई-वे बिल (इनवाइस मूल्य के बावजूद), वाहन ट्रैकिंग, ईवे बिल में अलर्ट को प्राथमिकता आदि जैसे उपायों पर बाद के चरणों में लागू किया जा सकता है।