बजाज समूह की कंपनियों और परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर पिछले 6 साल से चल रहे पारिवारिक विवाद का हल होता नजर आ रहा है।
सूत्रों का कहना है कि बजाज परिवार के सदस्यों ने विवाद को सुलझा लिया है, जिसकी औपचारिक घोषणा अगले 10 दिनों में की जा सकती है।
इस बारे में जब बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि जब मामले को अंतिम रूप दे दिया जाएगा, तो मीडिया को भी इससे अवगत कराया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि सभी भाई समझौते के लिए तैयार हैं और इस बारे में एक-दूसरे से बात-चीत चल रही है। यह चौथा मौका है, जब बजाज परिवार के विवाद को सुलझाने की कोशिश की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि बजाज हिंदुस्तान के चेयरमैन शिशिर बजाज, राहुल बजाज और उनके चचेरे भाइयों- मधुर और नीरज के बीच कंपनियों के बंटवारे को लेकर लंबे अरसे से विवाद चल रहा है। बाजार को भी बजाज परिवार के समझौते की भनक लग गई, जिसे उसने सकारात्मक ढंग से लिया।
शुक्रवार को बजाज हिंदुस्तान के शेयरों की कीमत में करीब 28 फीसदी का उछाल आया, वहीं कारोबारी वॉल्यूम भी औसतन 20 लाख 84 हजार शेयर से बढ़कर 70 लाख 31 हजार शेयर तक पहुंच गया।
बजाज ऑटो के शेयरों की कीमत में भी 2.71 फीसदी का उछाल दर्ज की गई, लेकिन खरीद-फरोख्त के वॉल्यूम में गिरावट आई।
इस समझौते की शुरुआत जून 2003 में हुई थी। इसके तहत राहुल बजाज और उनके चचेरे भाइयों ने बजाज हिंदुस्तान और बजाज कंज्यूमर केयर में अपनी हिस्सेदारी शिशिर बजाज को तय कीमत पर बेचने पर सहमति जताई थी। बदले में राहुल को बजाज ऑटो में अपनी 1.8 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी थी।
इसके साथ ही शिशिर प्रशांत ने वित्तीय मुआवजे की मांग भी की थी।लेकिन इस सौदे में मध्यस्थ सीए एस. गुरुमूर्ति और बजाज के पारिवारिक मित्र डी.एस. मेहता किन्हीं कारणों से समझौता नहीं करा पाए।
इसके बाद दो बार फिर समझौते की कोशिश की गई, लेकिन शिशिर बजाज की ओर से अन्य भाइयों के विरूद्ध कुप्रबंधन का मामला दर्ज कराने से बात नहीं बन पाई।
इस बीच, शिशिर ने कंपनी में करीब 4.67 फीसदी हिस्सेदारी बाजार से खरीद ली, वहीं राहुल ने बाजार से कंपनी के 3 फीसदी शेयर खरीद लिए। शिशिर की ओर से मुआवजा मांगने की वजह से ही समझौता संभव नहीं हो पा रहा है।