एमेजॉन-फ्यूचर के बीच होगी मध्यस्थता!

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 10:59 PM IST

दिग्गज वैश्विक खुदरा कंपनी एमेजॉन और फ्यूचर समूह मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने की योजना बना रहे हैं। फ्यूचर के अपना खुदरा और थोक कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने को लेकर दोनों के बीच विवाद पैदा हो गया है। एमेजॉन के मुताबिक फ्यूचर ने प्रतिस्पर्धा नहीं करने और फ्यूचर रिटेल के शेयरों पर उसके पहले इनकार के अधिकार की शर्तों का उल्लंघन किया है।
फ्यूचर समूह के एक सूत्र ने कहा कि दोनों समूहों के बीच हस्ताक्षरित समझौते के मुताबिक मध्यस्थता सिंगापुर में शुरू की जा सकती है और इन मुद्दों के समाधान के लिए कोई मध्यस्थ नियुक्त किया जाएगा। दरअसल, एमेजॉन ने पिछले साल दिसंबर में फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड (एफसीएल) की 49 फीसदी हिस्सेदारी 1,430 करोड़ रुपये में खरीदी थी। फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड की फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) में करीब 7.2 फीसदी हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2020 में एफआरएल की बिक्री 20,118 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ 34 करोड़ रुपये रहा था।
एक सूत्र ने कहा कि एफसीएल में हिस्सेदारी खरीदते समय एमेजॉन को तीन साल बाद (2022 तक) सीधे फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में हिस्सेदारी खरीदने का अतिरिक्त विकल्प दिया गया था। हालांकि इसके साथ भारत सरकार के खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने की शर्त जुड़ी हुई थी। एमेजॉन के पास फ्यूचर समूह की फ्लैगशिप कंपनी एफआरएल में हिस्सेदारी खरीदने के लिए 10 साल  (2029तक) का समय था।
हालांकि एफसीएल में एक निवेशक के रूप में एमेजॉन को लाने के बाद फ्यूचर समूह कुछ सप्ताह के भीतर ही आरआईएल के साथ सौदे पर आगे बढ़ गया क्योंकि वह प्रवर्तक के स्वामित्व वाली कंपनियों पर अत्यधिक कर्ज और कोरोना महामारी से सूचीबद्ध कंपनियों की घटती नकदी आवक के कारण मुश्किल वित्तीय हालात का सामना कर रहा था। ऐसी स्थिति में बियाणी ने संभावित सौदे के लिए आरआईएल से संपर्क किया और अगस्त के अंत में सौदा हो गया।
इस पर एमेजॉन यह आपत्ति जता रही है कि सौदा उसके और फ्यूचर समूह के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं करने के समझौते का उल्लंघन है। एमेजॉन का कहना है कि आरआईएल-फ्यूचर सौदे से फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में हिस्सेदारी खरीदने की उसकी योजना पटरी से उतर जाएगी।
कॉरपोरेट वकीलों ने कहा कि एमेजॉन के पास इस मुद्दे को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में उठाने का विकल्प है, जहां फ्यूचर समूह की कंपनियां अपने विलय के आवेदन करेंगी।
फ्यूचर और आरआईएल की तरफ से घोषित सौदे के मुताबिक फ्यूचर समूह की सभी सूचीबद्ध कंपनियां सबसे पहले फ्यूचर एंटरप्राइज लिमिटेड में विलय होंगी और उसके बाद विलय हो चुकी कंपनी अपना कारोबार आरआईएल को बेचेगी। एक वकील ने कहा, ‘एमेजॉन के पास भारत में एनसीएलटी में जाने और विदेश में मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने का विकल्प है। इससे आरआईएल-फ्यूचर सौदे में देरी हो सकती है, लेकिन इससे वह रुकेगा नहीं।’
एक सूत्र ने कहा, ‘इस बारे में काफी चर्चा होगी क्योंकि एमेजॉन भी रिलायंस रिटेल लिमिटेड में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रही है।’रोचक बात यह है कि फ्यूचर समूह ने आरआईएल के साथ सौदे की घोषणा से पहले एमेजॉन से लिखित स्वीकृति नहीं ली। इस मामले को लेकर एमेजॉन को भेजे गए सवालों का कंपनी ने जवाब नहीं दिया। लेकिन सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने फ्यूचर को कानूनी नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम एक महीने का समय दिया है। इस घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि फ्यूचर समूह ने रिलायंस के साथ करार के लिए न केवल एमेजॉन बल्कि ब्लैकस्टोन से भी मंजूरी नहीं ली। ब्लैकस्टोन फ्यूचर रिटेल में निवेशक है। फ्यूचर-रिलायंस सौदे की चर्चा एमेजॉन और ब्लैकस्टोन दोनों के शेयरधारकों की बैठक में होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, ‘कॉरपोरेट प्रशासन की अनदेखी की गई है और इसे लेकर ब्लैकस्टोन भी नाराज है।’ सूत्रों के मुताबिक अगर एमेजॉन ने इस मुद्दे को नहीं उठाया होता और फ्यूचर को कानूनी नोटिस नहीं भेजा होता तो इस ई-कॉमर्स कंपनी को अपने शेयरधारकों से कंपनी प्रशासन को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ता।

First Published : October 8, 2020 | 11:26 PM IST