प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Cummins India
कमिंस इंडिया ने दिसंबर तिमाही (वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही) के दौरान उम्मीद से बेहतर परिणाम दिया। डीजल और वैकल्पिक ईंधन इंजन की निर्माता कंपनी ने तिमाही के दौरान राजस्व में 22 प्रतिशत की उछाल दर्ज की। घरेलू प्रदर्शन के अलावा कई तिमाहियों के बाद निर्यात में भी सुधार हुआ। चुनिंदा क्षेत्रों में वृद्धि की बदौलत ऐसा हुआ।
हालांकि ब्रोकरेज कंपनियां इसकी दीर्घकालिक संभावनाओं को लेकर सकारात्मक हैं। लेकिन कुछ ब्रोकरेज निकट भविष्य को लेकर सावधानी भरा रुख अपना रही हैं। इसकी वजह सरकार का कम पूंजीगत व्यय, मूल्य निर्धारण का दबाव और निर्यात मांग में एकरूपता नहीं होना है।
राजस्व के प्रदर्शन को बिजली उत्पादन श्रेणी में अधिक बिक्री से मदद मिली जिसके इसके राजस्व में आधी से ज्यादा की हिस्सेदारी है। इस श्रेणी में यह तेजी डेटा सेंटर और मिशन-क्रिटिकल क्षेत्रों की मांग में उछाल के कारण आई। इसके अलावा सीपीसीबी 4+ पोर्टफोलियो की अच्छी मांग और स्थिर मूल्य निर्धारण की वजह से बिजली उत्पादन की बिक्री में 18 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
इलारा कैपिटल के विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि सीपीसीबी 4+ की दिशा में बढ़ने से मूल्य निर्धारण में तेजी आई है। लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा आगामी तिमाहियों में मूल्य निर्धारण परिदृश्य पर असर डाल सकती है। ब्रोकरेज कंपनियों ने बिजली उत्पादन में संभावित मूल्य निर्धारण के दबाव, निर्यात में अनिश्चितता और सरकार के पूंजीगत व्यय की धीमी रफ्तार के कारण कम लक्ष्य मूल्य के साथ ‘संचय’ की रेटिंग दोहराई है।
ब्रोकरेज कंपनी के हर्षित कपाड़िया कंपनी की बाजार में अग्रणी स्थिति और उद्योग में अग्रणी मार्जिन के कारण दीर्घावधि के लिए सकारात्मक बने हुए हैं। औद्योगिक श्रेणी का राजस्व एक साल पहले की तिमाही क मुकाबले 24 प्रतिशत अधिक रहा और निर्माण, खनन और रेलवे में तेजी के कारण यह बढ़ा।
प्रमुख श्रेणियों में सतत मांग के मद्देनजर कंपनी ने वित्त वर्ष 25 में दो अंकों की वृद्धि के अपने अनुमान को बरकरार रखा है। कमिंस इंडिया ने वित्त वर्ष 25 के पहले नौ महीनों के दौरान सालाना आधार पर 18 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है। पिछले साल की तुलना में 43 प्रतिशत की उछाल के साथ निर्यात में सुधार देखा गया जिनका इसके राजस्व में 15 प्रतिशत का हिस्सा है। अलबत्ता कंपनी सतर्क है क्योंकि पश्चिम एशिया और लैटिन अमेरिका को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्रों में मांग कमजोर देखी जा रही है।
हालांकि कंपनी अमेरिका की ओर से शुल्क दरों में बदलाव के जोखिम का आकलन करने की प्रक्रिया में है, लेकिन वह चैनल मौजूदगी को बेहतर बनाने और अपनी महत्त्वपूर्ण श्रेणियों के मिशन का विस्तार करते हुए नए बाजारों में विविध वैश्विक पोर्टफोलियो के लिए निवेश करने पर विचार कर रही है।
आईआईएफएल रिसर्च का मानना है कि अमेरिकी शुल्क के मसले को लेकर उम्मीद की किरण दिख सकती है। ब्रोकरेज की रेणु बैद पुगलिया के नेतृत्व में विश्लेषकों ने कहा, ‘हालांकि निर्यात में गिरावट आई है। लेकिन हम देख रहे हैं कि हाल में अमेरिकी शुल्क ढांचे ने भारत से सोर्सिंग को अपेक्षाकृत बेहतर हालात में ला दिया है।’