आईटी क्षेत्र की दिग्गज विप्रो आजकल नए लोगों को लेने के बजाए अपने मौजूद कर्मचारियों को कई कामों में दक्ष बना रही है, ताकि एक अकेला कर्मचारी ही कई कामों को अंजाम दे सके।
कंपनी अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने की ट्र्ेनिंग दे रही है, ताकि वे ही मौजूदा मांग को पूरा कर सकें। कंपनी अब ऐसे सौदों को ले रही है, जिसमें बीपीओ और आईटी सेवाओं को एक ही टीम मुहैया सके।
कंपनी के ज्वाइंट सीईओ (आईटी बिजनेस) गिरीश परांजपे का कहना है कि, ‘जब लोग कई कामों को करने में दक्ष होते हैं, तो हम कम लोगों से ही काम चला लेते हैं।
दो कर्मचारियों को कम सैलरी पर रखने से अच्छा तो एक सक्षम कर्मी को अच्छी सैलरी पर रखना होता है। इससे न सिर्फ समय बचता है, बल्कि कार्यकुशलता में भी इजाफा होता है।’
कंपनी ने अपने कर्मचारियों का इस्तेमाल आईटी और बीपीओ कारोबार के लिए करने का फैसला किया है। विप्रो कई ऐसे सौदे भी कर लिए हैं, जिसमें आईटी ऑउटसोर्सिंग और बीपीओ सेवाओं को एक ही टीम मुहैया करवाएगी।
इस काम के लिए तो कंपनी ने इन दोनों कारोबार से कुछ लोगों को ऐसे प्रोजेक्टों पर काम करने के लिए निकाल लिया है। परांजपे के मुताबिक कंपनी ने 3-4 बड़े ग्राहकों को भी जुटा लिया है, जिन्होंने अपनी आईटी और बीपीओ जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी विप्रो को सौंप दी है।
अगले वित्त वर्ष के अंत तक कंपनी को उम्मीद है कि इस एकीकृत परियोजना में लगभग 1000 लोग काम कर रहे होंगे। परांजपे ने बताया कि, ‘हम बीपीओ और आईटी सेवाओं को साथ में मुहैया करवा कर एकीकृत प्रोजेक्टों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
कार्यकुशल टीम को रखना हमेशा फायदे का सौदा होता है। अब नई कोशिशों की वजह से हम इन्हें एक नई तरह से करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां हम आईटी प्रोजेक्टों और बीपीओ सेवाओं की जरूरतों को एक साथ पूरा कर पाएंगे।’
दिसंबर में विप्रो ने उड़ीसा, प. बंगाल और आंध्र प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 2,000 छात्रों को बीपीओ कारोबार में नौकरियों का प्रस्ताव दिया था। बाद में इन्हें कंपनी के आईटी कारोबार में लिया जाना था। हालांकि, कंपनी का यह प्रयोग ज्यादा कामयाब नहीं हुआ।