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सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पर सभी के सुझाव पर होगा विचार: ट्राई

ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी का बयान इस बहस के एक दिन बाद आया है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए या नहीं।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- October 16, 2024 | 10:04 PM IST

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने कहा है कि वह उपग्रह (सैटेलाइट) स्पेक्ट्रम पर सभी पक्षों की टिप्पणियों पर विचार करेगा। मगर उसने यह भी साफ किया है कि इस विषय पर वह अपना परामर्श पत्र वापस नहीं लेगा।

ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) में संवाददाताओं से इतर बातचीत में ये बातें कहीं। लाहोटी का बयान इस बहस के एक दिन बाद आया है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए या नहीं।

उन्होंने कहा, ‘परामर्श पत्र पर हमें कई विचार, सुझाव और तथ्य मिल रहे हैं। ट्राई के पास ऐसी प्रतिक्रियाएं आती रहती हैं। इसके बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंचते हैं। ट्राई का जो भी विचार होता है, वह सार्वजनिक किया जाता है।‘

भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने मंगलवार को कहा था कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि सभी उपग्रह संचार प्रदाता कंपनियां भी उन कानूनी शर्तों का पालन करें जिनका दूरसंचार कंपनियां करती हैं। उनके लिए भी लाइसेंस फीस का भुगतान और स्पेक्ट्रम खरीदारी आदि शर्ते वैसी ही होनी चाहिए। इस बीच, रिलायंस जियो ने ट्राई से उपग्रह संचार (सैटेलाइट कम्युनिकेशन) पर संशोधित पत्र लाने का अनुरोध किया है।

जियो का आरोप है कि मौजूदा पत्र में उपग्रह और स्थलीय सेवाओं के बीच समान अवसर सुनिश्चित करने के प्रमुख बिंदु को नजरअंदाज किया गया है। उसने उपग्रह ब्रॉडबैंड स्पैक्ट्रम आवंटन की सरकार की सिफारिशों का विरोध किया।

मित्तल की ताजा टिप्पणी से यह बहस शुरू हो गई कि कहीं वह स्थलीय स्पेक्ट्रम की तरह ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की सरकार की नीलामी का सुझाव तो नहीं दे रहे हैं। अब तक रिलायंस जियो उपग्रह स्पेक्ट्रम की नीलामी पर जोर देती रही है जबकि भारती एयरटेल इसका विरोध करती रही थी। हालांकि, मंगलवार को बाद में जारी एक बयान में एयरटेल ने कहा कि कंपनी अपने इस रुख पर कायम है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन होना चाहिए।

पिछले महीने आए ट्राई के मशविरा पत्र में सुझाया गया था कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम शुल्कों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से जोड़ा जाएगा ताकि स्पेक्ट्रम शुल्क दूरसंचार कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन के अनुरूप ही रहे। मशविरा पत्र में कहा गया है कि इससे कंपनी की भुगतान क्षमता के अनुसार वित्तीय बोझ निर्धारित हो पाएगा।

First Published : October 16, 2024 | 9:55 PM IST