टाटा पावर ने महाराष्ट्र बिजली क्षेत्र नियामक महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग (एमईआरसी) से ईंधन समायोजन लागत की सीमा में राहत की मांग की है, जिससे कि बिजली खरीद की लागत की भरपाई हो सके। अगर एमईआरसी इससे सहमत हो जाता है तो टाटा पावर के मुंबई के ग्राहकों के लिए बिजली की दरें बढ़ जाएंगी।
मौजूदा नियम के मुताबिक ईंधन समायोजन शुल्क (एफएसी) के तहत बिजली वितरण कंपनी को अनुमति है कि वह ईंधन या बिजली की खरीद की लागत में किसी भी बढ़ोतरी की भरपाई मासिक बिजली बिल के माध्यम से करे।
ग्राहकों को बिजली की दरें बढ़ने का झटका न लगे, यह सुनिश्चित करने के लिए एफएसी की रिकवरी इस समय मौजूदा शुल्क के 20 प्रतिशत तक ही बढ़ोतरी हो सकती है। महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने कहा कि इस समय ट्रांबे ताप बिजली संयंत्रों से टाटा पावर को बिजली खरीद की कीमत 10 रुपये प्रति किलोवॉट पड़ रही है, क्योंकि उनके संयंत्र बिजली उत्पादन के लिए विदेश से कोयला मंगा रहे हैं।
2022 में कोयले की कीमत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिससे कंपनी ग्राहकों को दी जा रही बिजली की कीमत बढ़ाने की मांग कर रही है। अभी नियामक ने ट्रांबे बिजली उत्पादन केंद्र से 4.50 रुपये प्रति किलोवाट घंटे की दर से बिजली खरीद को मंजूरी दी है।
कोयले की कीमत में बढ़ोतरी की भरपाई करने के लिए कंपनियां अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली खरीद रही हैं। टाटा पावर अगले 5 साल में अक्षय ऊर्जा पर 77,000 करोड़ रुपये निवेश कर रही है, उसने ट्राम्बे बिजली उत्पादनन इकाई से 2030 तक बिजली खरीद के लिए बिजली खरीद समझौते के विस्तार की मांग की है।
एफएसी पर मौजूदा सीलिंग को देखते हुए टाटा पावर इस समय औसतन 1.20 रुपये प्रति यूनिट वसूली कर रही है। शेष की वसूली मध्यावधि में बिजली की कीमत में बदलाव से होगा, जो अगले साल अप्रैल से लागू होगी।