नए संसद भवन के निर्माण के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स द्वारा लगाई गई सबसे कम बोली में एक आकर्षक ऑर्डड लाइन-अप को जोड़ा गया है। कंपनी पिछले एक साल से अपनी बोली रणनीति पर नए सिरे से काम कर रही है ताकि लाभप्रदता में सुधार लाया जा सके। कंपनी ने 862 करोड़ रुपये पर महज 3 करोड़ रुपये के मामूली मार्जिन के साथ यह बोली हासिल की है। कम मार्जिन के साथ जीतने से पता चलता है कि कंपनी ने बहुत आक्रामक तरीके से बोली नहीं लगाई।
एक विश्लेषक ने कहा, ‘कंपनी के पास काफी ऑर्डर बुक है लेकिन इस परियोजना के लिए जीत आक्रामक बोली का परिणाम नहीं है। उन्हें पर्याप्त संसाधन, दमदार श्रमबल और निष्पादन दक्षता का फायदा मिलेगा।’ हालांकि कुछ परियोजनाओं के कारण कंपनी के लिए नकदी प्रवाह मुख्य रूप से चिंता का विषय रहा है। एक अन्य विश्लेषक ने कहा, ‘हाल में ऑर्डर प्रवाह अच्छा रहा है लेकिन कंपनी वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर एवं अन्य परियोजनाओं में भारी नुकसान के कारण बहीखात पर उसे नकदी प्रवाह संबंधी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।’
इंडिया रेटिंग्स ने जून में कहा था कि फर्म ने बताया था कि उसने अपनी बोली रणनीति में संशोधन किया है और बोली-पूर्व जोखिम प्रबंधन प्रथाओं में सुधार किया है। इसके तहत पिछले 12 महीनों के दौरान नकदी प्रवाह प्रबंधन को प्राथमिकता दी गई थी। राजस्व में गिरावट, नए ऑर्डर और ऋण बोझ में वृद्धि के संदर्भ में शुक्रवार को टाटा प्रोजेक्ट्स को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। कंपनी ने अब तक नए संसद भवन के निर्माण के लिए हासिल ऑर्डर का खुलासा नहीं किया है।
विश्लेषकों का कहना है कि नकदी प्रवाह संबंधी समस्याओं के कारण कंपनी को कंसोर्टियम साझेदार के बिना अन्य बड़ी परियोजनाओं के लिए बोली लगाना भी परेशानी हो रही थी। ठीक उसी दौरान नए संसद भवन के निर्माण वाली परियोजना हासिल होने से कंपनी की उस रणनीति में बदलाव का पता चलता है।