facebookmetapixel
सरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओरबिहार में NDA की प्रचंड जीत से बैकफुट पर विपक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवालNDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्षबिहार में बंपर जीत के बाद बोले PM मोदी: पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगलराज’ को उखाड़ फेंकेंगेबिहार में नीतीश–मोदी फैक्टर की धमक: भाजपा की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा की राह में अब नहीं कोई बाधाबिहार चुनाव 2025: जदयू और भाजपा ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी, AIMIM को झटकाNDA के वादे और वित्तीय सीमाएं: ‘विकसित बिहार’ का सपना कितना संभव?सेबी 17 दिसंबर की बैठक में करेगा हितों के टकराव और खुलासा नियमों की सिफारिशों पर विचार

सुजलॉन बढ़ाएगी आरई पावर में हिस्सा

Last Updated- December 07, 2022 | 1:01 AM IST

पवन ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी सुजलॉन एनर्जी ने पवन ऊर्जा उपकरण बनाने वाली जमर्न कंपनी आरई पावर सिस्टम्स एजी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए फंड जुटाने की योजना बना रही है।


सुजलॉन एनर्जी आरई पावर में 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी। अभी आरई पावर के शेयर पवन ऊर्जा क्षेत्र की फ्रांसीसी दिग्गज कंपनी अरेवा और पुर्तगाल की रियल एस्टेट कंपनी मार्टीफर के पास है। सुजलॉन  एनर्जी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक तुलसी तांती ने कहा, ‘हमने यूरो में लोन प्राप्ति के लिए आवेदन कर दिया है। क्योंकि अधिग्रहण के लिए पूंजी की जरूरत यूरो में होगी।’

हालांकि कंपनी किस दाम पर शेयर खरीद रही है यह पता नहीं चल पाया है। लेकिन तांती ने यह सौदा 150 यूरो प्रतिशेयर के हिसाब से होने के संकेत दिए हैं। सुजलॉन ने इसी दाम पर मई 2007 में 34 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। विश्लेषकों के मुताबिक सुजलॉन को अरेवा के 29.9 फीसदी और मार्टिफर के 12 फीसदी शेयर खरीदने के लिए लगभग 4700 करोड़ रुपये खर्चने पड़ेंगे।

सुजलॉन ने मई 2007 में अरेवा को पछाड़कर आरई पावर सिस्टम्स लगभग 7,314 करोड़ रुपये में खरीदी थी। इस खरीद का ढांचा इस तरह तैयार किया गया था कि सुजलॉन दो साल के भीतर ही 1,766 करोड़ रुपये में मार्टिफर की हिस्सेदारी भी खरीद सके। खरीद के समय सुजलॉन एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये थे जिसके मुताबिक सुजलॉन को अरेवा के वोटिंग अधिकार मिल जाये और एक साल बाद अरेवा अपने शेयर सुजलॉन को पहले दामों पर ही बेच सके।

यूरोप में सुजलॉन के बिजली वितरण और ट्रांसमिशन के लिए अरेवा ही कंपनी की पहली पसंद है। खरीद में लगने वाले संभावित समय के बारे में तांती ने कहा, ‘शेयर खरीदने के लिए अभी हमारे पास पूरे एक साल का वक्त है।’ उन्होंने यह भी संकेत दिये कि कंपनी जल्द ही आरई पावर में अपनी इक्विटी का कुछ हिस्सा सुजलॉन के शेयरधारकों को बेच सकते हैं।

First Published - May 22, 2008 | 1:46 AM IST

संबंधित पोस्ट