अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की वेदांत स्टरलाइट कॉपर को नया जीवन देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का प्रस्ताव किया। अदालत ने तमिलनाडु के तूत्तुकुडि में कंपनी के तांबा गलाने वाले संयंत्र को फिर से खोलने की संभावना तलाशने के लिए यह प्रस्ताव रखा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने संकेत दिया कि समिति में पर्यावरण विशेषज्ञ और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं। आईआईटी में पर्यावरण अध्ययन पर विभाग है। खबरों के मुताबिक न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और राष्ट्र को तमिलनाडु में स्थित परिसंपत्तियां नहीं गंवानी चाहिए। हालांकि, इस मामले पर अदालत का फैसला आना अभी बाकी है।
यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब स्टरलाइट कॉपर ने दोबारा उत्पादन दोबारा शुरू करने की तैयारियों के हिस्से के रूप में तांबे के कंसंट्रेशन, आयातित थर्मल कोयले, रॉक फॉस्फेट और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे कच्चे माल की आपूर्ति के लिए रुचि पत्र आमंत्रित किए थे। पांच साल पहले तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) के एक आदेश के बाद यह संयंत्र बंद हो गया था।
कंपनी की सालाना क्षमता को दोगुना कर 8,00,000 टन करने की योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू होने पर संयंत्र ने मई 2018 में उत्पादन बंद कर दिया था। विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई में हुई गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई और 102 लोग घायल हो गए थी। पिछले साल 2 जून को अप्रैल में एक अदालती फैसले के बाद कंपनी को रखरखाव कार्यों के लिए संयंत्र में जाने की अनुमित मिल गई थी। यह संयंत्र साल 1996 में स्थापित किया गया था और इसकी क्षमता लगभग 4,00,000 टन प्रतिवर्ष है।
स्टरलाइट कॉपर के मुताबिक उसकी इकाई बंद होने से कंपनी को रोजाना 5 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा साल 2017-18 में 335,000 टन का शुद्ध निर्यातक भारत 2018-19 से तांबे का शुद्ध आयातक बन गया है। तूत्तुकुडि इकाई बंद होने से कंपनी को साल 2021-22 में 97.1 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ है।