एनएमडीसी के आगे बिछ गईं स्टील कंपनियां

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:12 PM IST

इस्पात की बढ़ती कीमतों को देखकर इसमें इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल यानी लौह अयस्क के भाव भी ऊंचे हो गए हैं।


इसीलिए लौह अयस्क के खनन के लिए साझा उपक्रम बनाने की एनएमडीसी की पेशकश के जवाब में तमाम दिग्गज कंपनियों की कतार लगर् गई है।इनमें दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात निर्माता आर्सेलर मित्तल का नाम भी शामिल है।


सरकारी कंपनी एनएमडीसी की इस योजना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आधी-आधी हिस्सेदारी वाले इस उपक्रम में शामिल होने के लिए तकरीबन 35 कंपनियां आ गई हैं। यह उपक्रम एनएमडीसी के मौजूदा खनिज क्षेत्र विकसित करेगा या विदेशों में नए खनिज क्षेत्र तैयार किए जाएंगे।


सूत्रों ने बताया कि आर्सेलर मित्तल भी इस योजना में दिलचस्पी ले रही है। हालांकि आर्सेलर मित्तल ने इस बारे में ई मेल का जवाब नहीं दिया।इस उपक्रम में शामिल होने की होड़ में लगी 29 कंपनियां भारतीय हैं। विदेशों से छह कंपनियां इसके लिए बात कर रही हैं। इस फेहरिस्त में 12 कंपनियां इस्पात क्षेत्र से हैं, जबकि 19 कंपनियां खनन उद्योग से जुड़ी हैं। बाकी कंपनियां अन्य क्षेत्रों से हैं।


एनएमडीसी इन कंपनियों में से कुछ को छांटेगी।चुनिंदा कंपनियां अपनी योजनाओं के बारे में एनएमडीसी को विस्तार से बताएंगी। इसके बाद ही फैसला होगा।जहां तक आर्सेलर मित्तल की बात है, तो कच्चे माल के भारतीय संसाधनों में उसने पहली बार दिलचस्पी नहीं दिखाई है। माना जा रहा है कि वह कोल इंडिया के साथ भी ऐसा ही साझा उपक्रम शुरू करने की फिराक में है।


उद्योग सूत्रों के मुताबिक अगर आर्सेलर मित्तल और एनएमडीसी की दोस्ती परवान चढ़ जाती है, तो दोनों कंपनियों को चोखा फायदा होगा।आर्सेलर मित्तल जो लौह अयस्क लेती है, उसमें से 46 फीसद उसी की खदानों से आता है। इस आंकड़े को 2012 तक वह बढ़ाकर 65 फीसद करना चाहती है। अगर उसे एनएमडीसी के लौह अयस्क भंडारों को इस्तेमाल करने का मौका मिल जाता है, तो उसे कोई मुश्किल ही नहीं रहेगी।एनएमडीसी को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी की तकनीक और निवेश मिलेंगे।


आर्सेलर मित्तल ने रूस में तीन कोयला खदानों का अधिग्रहण पूरा कर लिया है। कंपनी ने इसके लिए तकरीबन 2,872 करोड़ रुपये की रकम खर्च की है। उसने केमेरोवो क्षेत्र में स्थित बेरेजोव्सकया खदान में 97.9 फीसद और पर्वोमयसकया खदान में 99.46 फीसद हिस्सेदारी खरीदी है। इस सौदे के तहत कंपनी को झर्नोव्सकया में कोयले के 3 भंडारों के खनन का अधिकार भी हासिल हो गया है। ये भंडार पर्वोमयसकया खदान से जुड़े हैं और उसके साथ कंपनी को मिले हैं।

First Published : April 11, 2008 | 12:35 AM IST