रिलायंस इंडस्ट्रीज ही इकलौती कंपनी नहीं है, जो नए कारोबार और अन्य क्षेत्रों में मोटे निवेश की योजना बना रही है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील और हिंडाल्को जैसी इस्पात क्षेत्र की दिग्गजों समेत कई बड़ी कंपनियां अगली कुछ तिमाहियों में क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही हैं क्योंकि उनके ग्राहकों की मांग बढ़ रही है।
दुनिया की प्रमुख इस्पात कंपनियों- आर्सेलरमित्तल और जापान की निप्पॉन स्टील के संयुक्त उद्यम आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया ने क्षमता बढ़ाकर तीन करोड़ टन करने की योजना बनाई है, जिस पर 85,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। कंपनी के गुजरात स्थित हजीरा संयंत्र की मौजूदा इस्पात उत्पादन क्षमता 90 लाख टन है, जिसे बढ़ाकर अगले तीन साल में 1.4 करोड़ टन और उसके बाद 1.8 करोड़ टन किया जाएगा। विस्तार के इन दोनों चरणों में 35-35 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। उत्पादन प्रक्रिया के अवरोध दूर करने के लिए भी 7,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया जा रहा है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील ने ओडिशा मेंं 1.2 करोड़ टन के नए एकीकृत संयंत्र के लिए समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिस पर 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
एक विदेशी ब्रोकरेज के विश्लेषक ने कहा, ‘हालांकि भारत में अभी समूचे कंपनी जगत का क्षमता उपयोग कम है मगर बंदरगाह एवं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे कुछ क्षेत्रों की कंपनियों ने अतिरिक्त क्षमता के लिए काम शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए आर्सेलरमित्तल का संयंत्र इस समय 100 फीसदी क्षमता पर इस्पात उत्पादन कर रहा है।’
नई पीढ़ी की कंपनियों में ओला इलेक्ट्रिक अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर का उत्पादन शुरू करने को तैयार है। कंपनी ने महज चार महीने पहले ही नए संयंत्र पर काम शुरू किया था। वित्त वर्ष 2021 की मार्च तिमाही में बिक्री और लाभ बढऩे से कंपनियों को विस्तार योजनाओं पर काम शुरू करने का आत्मविश्वास मिल रहा है। ग्राहकों की मांग बढऩसे दिसंबर 2020 में समाप्त तिमाही से ही कंपनियों की स्थिति में सुधार शुरू हो गया था।
रेटिंग कंपनी केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘शानदार राजस्व और शुद्ध लाभ के आंकड़ों के अलावा इस (मार्च, 2021 तिमाही) की खास बात यह है कि जिंसों की कीमतों में वैश्विक तेजी और उत्पादन गतिविधियां बढ़ाने से कंपनियों के परिचालन खर्च में व्यापक बढ़ोतरी हुई है।’ वाहन एवं कलपुर्जा के अलावा लोहा एवं इस्पात सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले उद्योग रहे हैं, जिनकी शुद्ध बिक्री में बढ़ोतरी वित्त वर्ष 2021 की मार्च तिमाही में करीब 50 फीसदी रही है। इन उद्योगों का क्षमता उपयोग बढऩे से शीर्ष कंपनियां अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार कर रही हैं। आदित्य बिड़ला समूह की हिंडाल्को इंडस्ट्रीज अगले दो साल में डाउनस्ट्रीम परियोजनाओं में 3,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना रही है ताकि मूल्य संवर्धित उत्पादों कायोगदान बढ़ाया जा सके।
कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि हीराकुड में फ्लैट रोल्ड उत्पाद क्षमता बढ़ाने पर ही 2,700 करोड़ रुपये का निवेश होगा। शेष पूंजीगत व्यय एल्युमिना विशेष रसायनों के उत्पादन पर होगा। समूह की एक अन्य कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट ने क्षमता 1.28 करोड़ टन बढ़ाने के लिए पहले ही 5,477 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दे दी है।
सज्जन जिंदल की अगुआई वाली जेएसडब्ल्यू स्टील ने अगले तीन साल में 47,457 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है। यह कर्नाटक के विजयनगर संयंत्र में इस्पात सालाना उत्पादन क्षमता 50 लाख टन बढ़ाएगी और ओडिशा में खनन बुनियादी ढांचा तैयार कर रही है। कंपनी के लिए नई परियोजनाओं की लागत 25,115 करोड़ रुपये आएगी, जबकि महाराष्ट्र के डोल्वी में क्षमता बढ़ाकर दोगुनी (एक करोड़ टन प्रतिवर्ष) करने समेत मौजूदा पूंजीगत व्यय के लिए 22,342 करोड़ रुपये की दरकार होगी। समूह की एक अन्य कंपनी जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने क्षमता 4.6 गीगावाट से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2025 तक 10 गीगावाट और वित्त वर्ष 2030 तक 20 गीगावाट करने की योजना बनाई है। कंपनी पूरी अतिरिक्त क्षमता नवीकरणीय स्रोतों से हासिल करेगी।
नवीन जिंदल की अगुआई वाली जिंदल स्टील ऐंड पावर ने अगले तीन साल में अंगुल एवं रायगढ़ में क्षमता दोगुनी (1.2 करोड़ टन) करने की योजना बनाई है। इस विस्तार पर 17,000 से 18,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय होगा, जो कंपनी आंतरिक कोष से ही खर्च करेगी। टाटा स्टील ने वित्त वर्ष 2022 में 11,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है, जिसमें से 70 फीसदी राशि भारतीय परिचालन पर खर्च की जाएगी। अदाणी समूह ने भी बंदरगाहों और लॉजिस्टिक कारोबार में व्यापक विस्तार की योजना बनाई है और वर्ष 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी निजी बंदरगाह कंपनी बनने का लक्ष्य तय किया है।
आईटी क्षेत्र में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के मुख्य वित्तीय अधिकारी वी रामकृष्णन ने मार्च तिमाही के नतीजों के बाद कहा था, ‘तकनीक से संबंधित अपग्रेड पर पूंजीगत व्यय तेज होगा। इसमें कुछ आईटी हार्डवेयर को नया करने पर ध्यान दिया जाएगा। कुल पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2020 के बराबर रहेगा।’
(साथ में शिवानी शिंदे)