आरबीआई की पहल से स्टार्टअप को मिलेगा आसान ऋण

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:30 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा स्टार्टअप को ऋण के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल करने के लिए उसे 50 करोड़ रुपये तक के ऋण श्रेणी में शामिल किए जाने के फैसले को स्टार्टअप उद्यमियों, निवेशकों और विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। लेकिन उनमें से अधिकतर ने इस बात से भी सहमति जताई है कि इसे लागू करना आसान नहीं होगा। यहां तक कि बैंकों का भी मानना है कि उन्हें स्टार्टअप ऋण के लिए वास्तव में क्षमता निर्माण की दिशा में काम करना होगा क्योंकि उन्हें भलीभांति पता है कि यह काफी जोखिम वाली श्रेणी है। अधिकतर युवा उद्यमियों के पास ऋण के एवज में गिरवी रखने के लिए कुछ भी नहीं होता है। अधिकतर बैंक भारी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के बोझ से जूझ रहे हैं। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि आरबीआई की यह पहल वास्तव मेंं स्टार्टअप क्षेत्र की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
लोकलसर्किल्स के संस्थापक एवं चेयरमैन सचिन तपरिया ने कहा, ‘ऋण के संदर्भ में स्टार्टअप को आरबीआई द्वारा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में शामिल करना एक अच्छी पहल हो सकती है। दीर्घावधि में इससे स्थापित राजस्व वाले केवल उन स्टार्टअप को फायदा होगा जिन्हें कार्यशील पूंजी ऋण की आवश्यकता होगी और जिनके पास रेहन उपलब्ध होगा।’ लोकलसर्किल एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां करीब 30,000 स्टार्टअप एवं एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) मौजूद हैं।
शुरुआती चरण के स्टार्टअप काफी जोखिम वाला कारोबार होता है और उनके पास शायद ही कोई रेहन उपलब्ध होता है। ऐसे 10 स्टार्टअप में से केवल एक स्टार्टअप ही व्यावहारिक तौर पर कंपनी बन पाता है। तपरिया ने कहा, ‘इसलिए शुरुआती चरण के स्टार्टअप उद्यमी बैंक ऋण को सुरक्षित करने के लिए व्यक्तिगत गारंटी देने का विरोध करते हैं और इसके बजाय इक्विटी को प्राथमिकता देते हैं। इस प्रकार आरबीआई के इस कदम से शुरुआती चरण के स्टार्टअप को कोई खास मदद नहीं मिल पाएगी।’
पुणे के एक उपभोक्ता केंद्रित स्टार्टअप ट्रू एलिमेंट्स के सह-संस्थापक श्रीजित मूलायिल ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर यह पहल बहुत स्वागत योग्य है लेकिन सवाल इसके कार्यान्वयन को लेकर है। उन्होंने कहा, ‘बैंकर उन कारोबार को नहीं समझते हैं जो लाभप्रद नहीं होते। लेकिन ऋणदाताओं को यह समझने की जरूरत है कि अदायगी कहां से होगी। यदि आप किसी स्टार्टअप के बहीखाते पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उनमें से अधिकतर लाभ नहीं कमा रहे हैं।’
मूलायिल ने कहा कि यदि सरकार खुद अथवा कोई अन्य संस्था इन स्टार्टअप की ओर से पुनर्भुगतान की गारंटी दे तो यह पहल काफी अच्छी हो सकती है। ऑटोमोटिव लीजिंग फर्म ओटो कैपिटल के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुमित छाजेड ने भी लगभग ऐसी ही राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि भले ही यह नाटकीय बदलाव लाने का निर्णय है लेकिन तुरंत स्पष्ट दिशानिर्देशों के साथ इसकी घोषणा की जानी चाहिए थी।
आईडीबीआई बैंक के डिप्टी प्रबंध निदेशक सुरेश खतनार ने कहा, ‘बैंकों को उन इकाइयों के लिए नकदी प्रवाह का आकीलन करने के लिए कौशल तैयार करना होगा जो शुरुआती अवस्था में हैं। स्टार्टअप की वर्तमान समझ से ऐसा लगता है कि वह आईटी और आईटी समर्थ सेवाओं पर केंद्रित है जबकि वास्तव में इस क्षेत्र का दायरा काफी व्यापक है।’
निजी क्षेत्र के ऋणदाता येस बैंक ने कहा कि वह पीएसएल मानदंडों को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप के वित्तपोषण के लिए अपनी नीति तैयार करेगा। येस बैंक के प्रबंध निदेशक प्रशांत कुमार के अनुसार, बैंक इससे पहले उन फिनटेक स्टार्टअप को रकम उपलब्ध कराता था जो डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्र में खुद बैंक को सेवाएं प्रदान कर सकते थे।
ऐसे समय में जब कोविड-19 वैश्विक महामारी ने छोटी फर्मों के लिए काफी व्यवधान पैदा किया है, कुछ वेंचर कैपिटल निवेशकों का कहना है कि आरबीआई की यह पहल प्रभावित कंपनियों को मौजूदा संकट से उबरने में काफी मददगार साबित होगी।

First Published : September 8, 2020 | 12:14 AM IST