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निजी मोटरसाइकलों को टैक्सी के रूप में अनुमति, गिग-वर्कर के संगठन चिंतित

केंद्र ने इन संशोधित दिशा-निर्देशों को अपनाने के लिए राज्य सरकारों को तीन महीने का समय दिया है।

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उदिशा श्रीवास्तव   
Last Updated- July 02, 2025 | 10:35 PM IST

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना में यात्रियों के परिवहन के लिए व्यावसायिक के साथ मोटरसाइकलों के उपयोग की भी अनुमति दी है। ये परिवर्तन संशोधित मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन (एमवीएजी) 2025 का हिस्सा हैं। ऐसा पहली बार है कि जब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से निजी मोटरसाइकलों को टैक्सी के रूप में अनुमति देने का आग्रह किया है।

अधिसूचना में कहा गया है, ‘राज्य सरकार एग्रीगेटर के जरिये यात्रियों द्वारा साझा परिवहन के रूप में यात्रा के लिए गैर-व्यावसायिक मोटरसाइकलों के एग्रीगेशन की अनुमति दे सकती है, जिसके परिणामस्वरूप यातायात की भीड़भाड़ और वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी, साथ ही किफायती यात्री परिवहन, हाइपरलोकल डिलिवरी और आजीविका के अवसर पैदा होंगे।’ केंद्र ने इन संशोधित दिशा-निर्देशों को अपनाने के लिए राज्य सरकारों को तीन महीने का समय दिया है।

रैपिडो और उबर जैसे मोबिलिटी एग्रीगेटर ने संशोधित एमएवीजी 2025 का स्वागत किया है, हालांकि गिग-वर्कर के संगठन चिंतित हैं।

इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आईएफएटी) और तेलंगाना गिग ऐंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (टीजीपीडब्ल्यूयू) ने कुछ प्रावधानों का स्वागत किया है, लेकिन समान किराया विनियमन की कमी, दामों में अनियंत्रित तेजी और प्रवर्तन में अंतराल के संबंध में चिंता व्यक्त की है।

अपनी चिंताओं का हवाला देते हुए आईएफएटी और टीजीपीडब्ल्यूयू ने कहा कि ये दिशा-निर्देश अधिक मांग वाली अवधि के दौरान किराये में दो गुना वृद्धि की अनुमति देते हैं, जिसकी वजह से यात्रियों को आपात स्थिति, त्योहारों, बारिश या पीक ऑवर के दौरान सवारी की अत्यधिक लागत का सामना करना पड़ता है। मौजूदा प्रारूप से केवल एग्रीगेटरों को लाभ पहुंचता है, जबकि ग्राहक अधिक भुगतान करते हैं और ड्राइवरों को असमान, अनुचित भुगतान मिलता है। यूनियनों ने मांग की है कि राज्य सरकार को निगरानी और प्रवर्तन प्रक्रिया में संबंधित यूनियनों को शामिल किए बिना इन दिशानिर्देशों को लागू नहीं करना चाहिए।

आईएफएटी के राष्ट्रीय महासचिव और टीजीपीडब्ल्यूयू के संस्थापक अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन ने कहा, ‘जब किराया दो या तीन गुना बढ़ जाता है, तो यात्री ड्राइवरों को दोषी ठहराते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि ड्राइवर और यात्री दोनों को ही नुकसान झेलना पड़ता है, जबकि केवल ऐप कंपनियां ही लाभ कमाती हैं। हमें पूरे भारत में निश्चित, उचित किराया, सख्त राज्य प्रवर्तन तथा पीली प्लेट के बिना बाइक टैक्सियों जैसे अवैध परिचालन को समाप्त करने की जरूरत है। तभी हम ग्राहकों और श्रमिकों दोनों के लिए सुरक्षा, सम्मान और निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकते हैं।’

एग्रीगेटर से संबंधित दिशानिर्देशों में उल्लेख किया गया है कि ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियां अब पीक ऑवर के दौरान मूल किराए से दोगुना तक वसूल सकती हैं, जो पिछली 1.5 गुना की सीमा से अधिक है। नॉन पीक ऑवर के दौरान किराया मूल दर का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए। मूल किराया राज्य सरकार द्वारा मोटर वाहनों की संबंधित श्रेणी या वर्ग के लिए अधिसूचित किराये को सूचित करता है।

First Published : July 2, 2025 | 10:26 PM IST