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अंतरिक्ष में चमकने को तैयार भारतीय स्टार्टअप ‘Pixxel’

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शाइन जेकब
Last Updated- December 12, 2022 | 6:34 PM IST

वर्ष 2017 में, जब अवैस अहमद ‘एक छात्र परियोजना के तहत’ अमेरिका में स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क से मिले थे, तो उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि एक दिन उनका स्टार्टअप भारत में सबसे अधिक चर्चित स्पेसटेक कंपनियों में से एक बन जाएगा। पिछले हफ्ते ‘Pixxel’ ने अपने नियोजित 36-उपग्रह तारामंडल में से आनंद नामक पहला हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह छोड़ा था। इस स्टार्टअप को अहमद ने वर्ष 2018 के दौरान बिट्स पिलानी में अपने अंतिम वर्ष में क्षितिज खंडेलवाल के साथ शुरू किया था।

25 साल के इस युग्म की सफलता की कहानी भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में कोई अलग मामला नहीं है। अग्निकुल, स्काईरूट, ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स जैसी लगभग आधा दर्जन ऐसी कंपनिया हैं, जो इस साल सफलता का स्वाद चखा चुकी हैं। इस तरह अंतरिक्ष उभरता हुआ क्षेत्र बन गया है।

भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के अनुसार हालांकि स्टार्टअपों ने वर्ष 2012 में इस क्षेत्र में आना शुरू कर दिया था, लेकिन वास्तविक परख वर्ष 2022 में ही हुई। अंतरिक्ष क्षेत्र के किसी भी स्टार्टअप या निजी क्षेत्र की कंपनी के मामले में उनकी क्षमता का प्रमाण तभी सामने आता है, जब वे अंतरिक्ष में जाती हैं।

निजी क्षेत्र की फर्मों और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच एक सेतु के रूप में काम करने वाली इंडियन नैशनल स्पेस प्रमोशन ऐंड ऑथराइजेशन सेंटर (इन-स्पेस) के चेयरमैन और कारोबारी पवन गोयनका ने कहा ‘पिछले दो साल में लगभग 70 नए स्टार्टअप इस क्षेत्र में आए हैं। इसके अलावा निवेशकों की रुचि बढ़ रही है। अकेले इस साल ही अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 10 से 11 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया था। फिलहाल निजी क्षेत्र की छह से सात ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में खासी प्रगति की है।’

लेकिन क्या यह भारत के लिए ‘स्पेसएक्स’ जैसा क्षण है? गोयनका ने कहा ‘हम इससे काफी दूर हैं।’ उन्होंने कहा कि यह तो अभी बस शुरुआत ही है। स्पेसएक्स आज जहां है, वहां तक पहुंचने में उसे 20 साल से ज्यादा का समय लगा है। हमारे लिए स्पेसएक्स जितनी बड़ी कंपनी के बारे में बात करना अभी काफी जल्दबाजी होगी। हर कोई भारत को वहां पहुंचते देखना चाहेगा।

निजी फर्मों के मामले में पहली बड़ी उपलब्धि 30 जून को उस वक्त मिली, जब पीएसएलवी-सी53 मिशन अंतरिक्ष क्षेत्र की भारतीय स्टार्टअप दिगंतरा और ध्रुव स्पेस का पेलोड ले गया, जिसे इन-स्पेस का समर्थन था। आईएसपीए के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा ‘भारत में स्टार्टअपों का यह पहला अंतरिक्ष परीक्षण था।’

इसके बाद 23 अक्टूबर को एक और निजी क्षेत्र की सफलता की कहानी सामने आई, जब वनवेब (हालांकि यह स्टार्टअप नहीं है) के 36 उपग्रह भारत के सबसे भारी-भरकम रॉकेट एलवीएम-3 के पहले वाणिज्यिक मिशन में छोड़े गए थे, जिसे जीएसएलवी एमके-3 के रूप में भी जाना जाता है।

भट्ट ने कहा ‘मुझे विश्वास है कि अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में भारत के प्रभावी भागीदार होंगे। इसके विकास के लिए उचित नियम और पूंजी महत्त्वपूर्ण है। इन-स्पेस और इसरो निजी क्षेत्र को संभाल रहे हैं।’ आईएसपीए के आंकड़ों के अनुसार अंतरिक्ष क्षेत्र की लगभग 386 कंपनियों में से 104 स्टार्टअप हैं। फरवरी 2021 में इन-स्पेस की स्थापना के बाद से इसे निजी क्षेत्र की कंपनियों से 150 प्रस्ताव मिल चुके हैं और गोयनका के अनुसार उनमें से आधे से अधिक स्टार्टअप की तरफ से थे।

First Published : December 12, 2022 | 6:34 PM IST