प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि दुनिया में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़ी क्षमताओं का नेतृत्व भारत करेगा और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई का नेतृत्व भारतीय हाथों में ही रहना चाहिए। ‘स्टार्टअप महाकुंभ’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के स्टार्टअप तंत्र की सराहना की और उद्यमियों को वैश्विक प्रयोग के लिए भारतीय समाधान तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, ‘हम एआई तकनीक के नए दौर में हैं और दुनिया इस बात को स्वीकार करती है कि एआई में भारत मजबूत रहेगा। अब हमारी प्राथमिकता यह है कि हम यह सुनिश्चित करें कि हम इस मौके को हाथ से न जाने दें।’
उन्होंने नैशनल क्वांटम मिशन, इंडिया एआई मिशन और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन जैसी पहलों का जिक्र करते हुए कहा इससे युवा नवाचारकों और वैश्विक निवेशकों के लिए समान रूप से कई मौके तैयार होंगे।
मोदी ने कहा, ‘एआई क्षमता का नेतृत्व भारत के हाथों में ही होगा और यह भारत के पास ही रहना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि वैश्विक ऐप्लिकेशन के लिए भारतीय समाधान ही एक प्रमुख कारक है और भारतीय नवाचार के बदौलत कई देशों की समस्याओं का समाधान होगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपने चुनाव अभियान के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और तमिलनाडु, तेलुगू और अन्य भाषाओं में अपने बयान साझा कर रहे हैं। मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई और कहा कि भारत की प्रगति में स्टार्टअप एक बड़ी भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप की फंडिंग के लिए बेहतर प्रणाली तैयार करने की कोशिश जारी है।
उन्होंने कहा, ‘भारत स्टार्टअप का तीसरा सबसे बड़ा तंत्र है और यहां करीब 1.25 लाख पंजीकृत स्टार्टअप हैं और इनमें करीब 12 लाख युवाओं को नौकरी मिली हुई है। हमारे यहां 110 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। हमारी स्टार्टअप ने करीब 12,000 पेटेंट दाखिल किए हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्टअप क्रांति दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों के युवाओं के द्वारा की जा रही है और इनमें कृषि, वस्त्र, दवा, परिवहन, अंतरिक्ष, योग और आयुर्वेद जैसे क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा अब ‘नौकरी तलाशने’ के बजाय ‘नौकरी देने वाला’ बन रहे हैं।
उन्होंने नैशनल रिसर्च फाउंडेशन और शोध तथा नवाचार के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के फंड का जिक्र किया और भविष्य में उभरते क्षेत्रों की भविष्य की जरूरतों का समाधान करने की बात की।
मोदी ने स्टार्टअप महाकुंभ के महत्त्व पर जोर देते हुए कहा कि देश 2047 तक विकसित भारत बनने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने इसके लिए निवेशकों, अकादमिक जगत के लोगों, शोधकर्ताओं, उद्योग के सदस्यों और वर्तमान तथा भविष्य के उद्यमियों की मौजूदगी की अहमियत स्वीकार की।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह वास्तव में एक महाकुंभ है जिसमें अप्रत्याशित ऊर्जा देखी जा रही है। कोई भी भारतीय जो स्टार्टअप महाकुंभ को देख रहे हैं वे भविष्य के यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक वैल्यू वाले स्टार्टअप) और डेकाकॉर्न (10 अरब डॉलर से अधिक वैल्यू वाली स्टार्टअप) देखेंगे।’ देश में 45 फीसदी से अधिक स्टार्टअप महिलाओं के नेतृत्व में चलाई जाती हैं चाहे वह शिक्षा, कृषि क्षेत्र या स्वास्थ्य क्षेत्र हो।
उन्होंने इस बात को भी मजबूती से उठाया कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (Fintech) स्टार्टअप के समर्थन के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) एक प्रमुख स्तंभ है और इससे देश में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए नए उत्पाद एवं सेवाओं का विकास होगा।
उन्होंने कहा, ‘भारत ने तकनीक के इस्तेमाल का लोकतंत्रीकरण किया है और हम अब इस पर चर्चा करने या न करने जैसे विमर्शों से ऊपर उठ चुके हैं।’
प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप और उद्योग के हितधारकों को समाज में योगदान देने का सुझाव देते हुए कहा कि वे इन्क्यूबेशन सेंटर, स्कूल और कॉलेज जाएं और छात्रों के साथ अपने अनुभवों को साझा करें।
मोदी ने कारोबार और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) को भी इसका अनुसरण करने के लिए कहा। इस तीन दिवसीय इवेंट की शुरुआत 18 मार्च को हुई और इसका आयोजन औद्योगिक संस्थाओं जैसे कि एसोचैम, नैसकॉम, बूटस्ट्रैप इन्क्यूबेशन ऐंड एडवाइजरी फाउंडेशन, टीआईई और इंडियन वेंचर ऐंड ऑल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (IVCA) ने किया।