भारतीय विमानन नियामक डीजीसीए ने सस्ती सेवा प्रदाता स्पाइसजेट से सोमवार को पेश किए गए प्रोत्साहन बिक्री ऑफर को बंद करने को कहा है। नियामक का कहना है कि यह ऑफर मई में सरकार द्वारा निर्धारित कीमत सीमा का उल्लंघन है।
इस पैकेज के तहत स्पाइसजेट 899 रुपये से शुरू (करों को छोड़कर) एक तरफ के किराये और 2,000 रुपये तक के वाउचर की पेशकश कर रही थी। इस वाउचर को आगामी टिकट बुकिंग के लिए भुनाया जा सकता था।
उड़ानों को फिर से शुरू करते वक्त 25 मई को सरकार ने तीन महीने के लिए अपर और लोअर लिमिट दोनों के साथ किराए पर सीमा निर्धारित की। हालांकि शुरू में यह सीमा 24 अगस्त तक थी, लेकिन पिछले सप्ताह इसे तीन महीने और बढ़ाकर 24 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।
इस घटनाक्रम से अवगत एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘डीजीसीए ने स्पाइसजेट से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि यह प्रोत्साहन पेशकश सरकार द्वारा निर्धारित सीमा का उल्लंघन किस तरह से नहीं है। इसके बाद नियामक ने स्पाइसजेट से इस ऑफर को वापस लेने को कहा है।’ स्पाइसजेट के अधिकारी ने डीजीसीए से इस बारे में प्राप्त सूचना की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा, ‘स्पाइसजेट ने डीजीसीए दिशा-निर्देशों का पालन किया है।’
सरकार द्वारा किराया संबंधित निर्धारित सीमा के तहत शहरों के बीच उड़ानों को अपर और लोअर बैंड की अवधि के आधार पर आठ भागों में विभाजित किया गया था।
नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस निर्णय की तर्कसंगतता स्पष्ट करते हुए कहा था कि जहां अपर प्राइस यानी ऊपरी कीमत सीमाका मकसद मांग वृद्घि की वजह से किराए में किसी भारी वृद्घि से रोकना है, वहीं लोअर लिमिट यह सुनिश्चित करेगी कि ऊंची लागत के बीच एयरलाइनों की वित्तीय व्यवहार्यता प्रभावित न हो। स्पाइसजेट के एक अधिकारी ने कहा कि यह ऑफर डीजीसीए नियमों का उल्लंघन नहीं था। उन्होंने कहा, ‘एयरलाइन ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि 1+1 ऑफर के तहत टिकट खरीदने वाले यात्रियों को 2,000 रुपये तक का वाउचर मिलेगा। इसके अलावा, यात्री उन उड़ानों के लिए ही इस वाउचर का इस्तेमाल कर सकेंगे जिनमें किराया कम से कम 6,500 रुपये हो। यह उल्लंघन नहीं था, हालांकि हम नियामक के निर्देश का पालन करेंगे और ऑफर को वापस लेंगे।’विश्लेषकों का कहना है कि यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि सरकार मुक्त बाजार में वाणिज्यिक निर्णयों में दखल देने की कोशिश कर रही है।स्पाइसजेट द्वारा यह ऑफर नकदी स्थिति सुधारने के लिए था, क्योंकि एयरलाइनों को दो महीने पहले परिचालन पुन: शुरू होने के बावजूद जुलाई 2020 में कमजोर मांग से वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। एयरलाइनों ने जुलाई 2019 के मुकाबले जुलाई 2020 में महज 27 प्रतिशत की क्षमता के साथ परिचालन किया, लेकिन यह जून 2020 की 25 प्रतिशत क्षमता की तुलना में मामूली सुधार है।विमानन कंसल्टेंसी फर्म सीएपीए का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था न तो यात्री और न ही एयरलाइन के पक्ष में है।