इस सप्ताह के आरंभ में नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने विमानन कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों को अपने कार्यालय में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर क्या अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं।
विमानन कंपनियों ने बेलआउट से लेकर आक्रामक मूल्य निर्धारण पर सख्त नियंत्रण जैसी तमाम मांगों को सामने रखा लेकिन स्पाइसजेट के प्रतिनिधि ने एक असामान्य मांग सामने रखी। उन्होंने कहा कि क्षमता तैनाती को मौजूदा 80 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी कर दिया जाना चाहिए। सरकार ने कुछ ही सप्ताह पहले इसकी घोषणा की थी। यह मांग विमानन कंपनियों के लिए असामान्य है क्योंकि विमानन कंपनियां शुद्ध रूप से अपने वाणिज्यिक निर्णय पर नियामकीय नियंत्रण से आमतौर पर परहेज करती हैं। इससे मार्ग नेटवर्क में बदलाव करने और राजस्व में सुधार लाने संबंधी उनकी क्षमता प्रभावित होती है।
हालांकि स्पाइसजेट के प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया कि ऐसी कोई मांग रखी गई है लेकिन कई विमानन कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि पिछले कुछ महीनों के दौरान स्पाइसजेट क्षमता में कटौती करने के लिए सरकार पर दबाव डाल रही है। इसका कारण यह है कि पट्टा किराये के भुगतान न किए जाने पर पट्टादारों ने विमानों को खड़ा करने की मांग की है। इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘कम विमानों के साथ स्पाइसजेट को कहीं अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि इंडिगो जैसी प्रतिस्पर्धी विमानन कंपनियों से उसे काफी दबाव का सामना करना पड़ेगा।’
स्पाइसजेट के बेड़े में सक्रिय विमानों की संख्या 31 जनवरी के अनुसार 81 थी जिसमें मालवाहक विमान भी शामिल हैं। जबकि 2019 में इस विमानन कंपनी के बेड़े में 100 से अधिक यात्री विमान मौजूद थे।
विमानन कंपनी को 10 बोइंग 737 विमानों के लिए ग्राउंडिंग नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। जबकि करीब दो पट्टेदारों ने 737 मैक्स विमानों के रखरखाव का भुगतान न किए जाने पर स्पाइसजेट के खिलाफ अदालती कार्रवाई की है। भुगतान में बार-बार चूक किए जाने के बाद पट्टेदारों और ऋणदाताओं की ओर से विमानन कंपनियों को ग्राउंडिंग नोटिस जारी किए जाते हैं।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा कि डीएई एयरोस्पेस और बीबीएएम ने स्पाइसजेट को ग्राउंडिंग नोटिस दिए हैं। हालांकि दोनों पट्टेदारों ने भुगतान एवं वैश्विक महामारी के बाद एक लंबी अवधि के लिए अदायगी के मुद्दे पर बातचीत की थी। स्पाइसजेट ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वित्त वर्ष 2022 से समय पर भुगतान किया जाएगा। लेकिन अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया जिससे वे परेशान हो गए हैं। दोनों पट्टेदारों ने विमानन कंपनी से कहा है कि वे विमानों को हैदराबाद में जीएमआर समूह के एमआरओ और होसुर में एयर वर्क के एमआरओ में खड़ा कर दिया जाए।
विमानन कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि विमानन कंपनी इन विमानों को अपने पास बरकरार रखने के लिए पट्टेदारों से बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी को कुछ मामलों में सफलता भी मिली है जबकि पट्टे की अवधि खत्म होने के कारण आपसी सहमति से कुछ विमानों को लौटाने के लिए भी सहमति बनी है।
हालांकि ग्राउंडिंग नोटिस में सुधार किया जा सकता है लेकिन आमतौर पर इससे लेनदारों के बीच विमानन कंपनी की साख और उसकी खराब होती वित्तीय स्थिति का संकेत मिलता है। स्पाइसजेट ने इससे पहले 2014 में ग्राउंडिंग नोटिस का सामना किया था जब मौजूदा प्रवर्तक अजय सिंह ने सन ग्रुप के प्रवर्तक कलानिधि मारन अधिग्रहण करते हुए इस विमानन कंपनी को दिवालिया होने से बचाया था।
स्पाइसजेट को दिवालिया होने से बचाने की कहानी में अब एक नया मोड़ सामने आया है क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के बाद विमानन कंपनी को लगातार कई डिफॉल्ट नोटिस से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में 55 वर्षीय अजय सिंह को उस विमानन कंपनी को बचाने के लिए सबसे कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ेगा जिसकी उन्होंने स्थापना की थी।