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भारत के लिए संप्रभु AI क्षमता जरूरी: IBM CEO अरविंद कृष्णा

सरकार द्वारा इस पर भारी-भरकम निवेश करने की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि इस तरह की पहल के लिए कुछ लाख डॉलर की जरूरत हो सकती है, जो भारत के लिए मु​श्किल नहीं

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शिवानी शिंदे   
Last Updated- August 28, 2023 | 10:03 PM IST

भारत सहित प्रत्येक देश के पास लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल्स के साथ ही आर्टिफि​शल इंटेलिजेंस (एआई) में संप्रभु क्षमता होनी चाहिए। यह कहना है आईबीएम के चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी अरविंद कृष्णा का।

कृष्णा इन दिनों बी20 सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत की यात्रा पर हैं। उन्होंने आज कहा कि आईबीएम ने भारत सरकार को राष्ट्रीय एआई कंप्यूटिंग केंद्र बनाने का सुझाव दिया है। कृष्णा ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के साथ हमारी सार्थक बातचीत हुई। मेरा मानना है कि हरके देश के पास लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल सहित एआई पर कुछ संप्रभु क्षमता होनी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा कि इस दिशा में भारत को कंप्यूटिंग और डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है।

कृष्णा के अनुसार, ‘आपको ऐसे बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है क्योंकि आप उसका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए करना चाहेंगे जिनमें बाकी दुनिया निवेश करने के लिए इच्छुक नहीं होगी। आप इसका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए कर सकते ​हैं जिसे आप दूसरों के बीच उजागर नहीं करना चाहेंगे। आपको सरकार तथा निजी कंपनियों के लिए एक ऐसे तरीके भी तलाशने होंगे जो भारत के लिए अनूठे तरीके से लाभ उठाने में सक्षम हो।’

सरकार द्वारा इस पर भारी-भरकम निवेश करने की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि इस तरह की पहल के लिए कुछ लाख डॉलर की जरूरत हो सकती है, जो भारत के लिए मु​श्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग इसमें 10 अरब डॉलर के निवेश की बात कह रहे हैं वे असल में भ्रमित हैं। उन्होंने कहा कि जब भी कोई नई तकनीक अपनाने की बात आती है तो सरकार इस दिशा में पहला कदम उठाती है ताकि निजी क्षेत्र का इस पर भरोसा बढ़ सके।

कृष्णा ने विश्वास जताया कि भारत एआई की लहर पर उसी तरह सफलतापूर्वक सवार हो सकता है जैसा कि उसने बीपीओ और आईटी सेवाओं में किया था।

भारत के पास इस अवसर का लाभ उठाने के लिए ​कुशल प्रतिभा की उपलब्धता के सवाल पर उन्होंने सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दो तरह के एआई कौशल होता हैं। एक जो एआई की खोज करते हैं और दूसरा जो इस तकनीक का इस्मेमाल करते हैं।

कृष्णा ने कहा, ‘अभी एआई के इस्मेमाल का अवसर है। मेरी टीम को ही देख लें, उसे इसमें पारंगत होने में महज तीन महीने का वक्त लगा। उदाहरण के लिए मैंने देखा है कि आईबीएम में चार्टर्ड अकाउंटेंट को वित्तीय कामकाज एआई पर करने की पूरी प्रक्रिया में करीब 3 महीने लगे थे।’

कृष्णा ने कहा कि प्रतिभा और बाजार दोनों के लिहाज से भारत आईबीएम के लिए महत्त्वपूर्ण देश है। उन्होंने कहा कि भारत में आईबीएम का कारोबार बढ़ने वाला है और यह सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर से ज्यादा तेजी से बढ़ेगा। कृष्णा ने कहा, ‘इसके साथ ही भारत में हमारा वै​श्विक निवेश भी बढ़ेगा।’

एआई के लिए एक सुर​क्षित दायरा बनाने के बारे में उन्होंने कहा कि एआई के संबंध में कुछ आशंकाएं उचित हैं और इसके उपयोग के लिए कायदे बनाना सही नजरिया होगा।

कृष्णा ने कहा, ‘एआई को रोकने से कोई भी मकसद पूरा नहीं होगा, क्योंकि बुरी चीजें भी एक देश से दूसरे देश में नुकसान फैलाती हैं और एआई भी आसानी से सीमा पार कर सकता है।’ आईबीएम प्रमुख ने यह भी कहा कि तकनीक पर खर्च के लिए वै​श्विक वृहद आ​र्थिक माहौल सकारात्मक बना हुआ है। तकनीक पर वै​श्विक खर्च में करीब 3 से 6 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।

First Published : August 28, 2023 | 10:03 PM IST