महामारी के बीच भी कुछ ने जोड़ी परिसंपत्तियां

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:16 AM IST

महामारी के प्रसार से साथ सभी कंपनियों ने पूंजीगत खर्च को स्थगित नहीं किया। एसऐंडपी बीएसई 100 कंपनियों ने मार्च के बाद छह महीने में 55,890 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां जोड़ी। यह जानकारी डेलॉयट तोमात्सु इंडिया की तरफ से बिजनेस स्टैंडर्ड के सहयोग से हुए डिस्क्लोजर के विश्लेषण से मिली।
परिसंपत्तियों का जुड़ाव इस अवधि में ह्रास का समायोजन करने के बाद का है, जिससे सकल आधार पर और बड़े आंकड़े नजर आते। अधिग्रहण के कारण खातों के समायोजन ने इस बढ़ोतरी में शायद बड़ी भूमिका निभाई होगी। आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि कम से कम आधे इस मार्ग से आए। लेकिन कई क्षेत्रों से भी निवेश के संकेत मिले।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर मधुसूदन कनकानी ने कहा, महामारी के पहले छह महीने में स्थिति को देखते हुए हमें लगा होगा कि ज्यादातर बड़ी कंपनियों ने नकदी संरक्षण के लिए पूंजीगत खर्च को शायद टाल दिया होगा। लेकिन वास्तव में कई कंपनियों ने अपनी पूंजीगत खर्च योजना बरकरार रखी, चाहे इसकी रफ्तार भले ही धीमी रही हो, जहां प्रतिबद्धता जताई गई थी या परियोनजा की शुरुआत हुई थी।
प्रॉपर्टी, प्लांट व उपकरण के अलावा इस विश्लेषण में शामिल परिसंपत्तियों में वर्क इन प्रोग्रेस, विकास के दौर वाली इन्वेस्टमेंट प्रॉपर्टीज, एक्सप्लोरेशन व इवेल्युएशन एसेट्स, राइट टु यूज ऑफ एसेट्स और अन्य अमूर्त परिसंपत्तियां आदि शामिल है।
इस अवधि में ह्रास 1.2 लाख करोड़ रुपये का रहा। यह परिसंपत्तियों में सकल बढ़ोतरी को 1.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाता है। कुछ बढ़ोतरी अधिग्रहण को प्रतिबिंबित कर सकती है, लेकिन इस मामले में क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग आंकड़े देखने को मिलेंगे।
उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों की परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी मुख्य रूप से अधिग्रहण के चलते देखने को मिली, साथ ही बड़ी कंपनियों ने पूंजीगत खर्च भी किए। इस क्षेत्र में कुछ कवायद कारोबारी सुदृढ़ता और महामारी के बीच ज्यादा औपचारिकता के कारण देखने को मिली। यह कहना है आईसीआईसीआई डायरेक्ट के शोध प्रमुख पंकज पांडे का।
उन्होंने कहा, असंगठित क्षेत्र को झटका लगा। सुदृढ़ क्षेत्रों मसलन तेल व गैस, धातु व खनन में 10,000-10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली। अन्य क्षेत्रों मसलन रियल एस्टेट, बंदरगाह व बिजली कंपनियों को काफी अवरोध का सामना करना पड़ा और शुद्ध आधार पर वे खासी बढ़ोतरी दर्ज नहीं कर पाई।
बिजली कंपनियों क रिसीवेवल्स में 49 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। कनकानी ने कहा, खास तौर से बिजली क्षेत्र में रिसीवेवल्स मुख्य रूप से खुदरा गतिविधियों के कारण देखने को मिली। महामारी के दौरान संग्रह व नकद भुगतान की क्षमता पर काफी असर पड़ा। ऐसे उदाहरण भी देखने को मिले, जहां बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं की बिलिंग टाल दी और अगले कुछ महीनों में वे मासिक आधार पर बकाया संग्रह की योजना बना रही हैं।
बैंंलेंस शीट के आंकड़े 100 में से 95 कंपनियों के उपलब्ध हैं। पांच को छोड़ दिया गया क्योंकि कुछ अलग-अलग वित्त वर्ष मानती हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि बैलेंस शीट सितंबर में उपलब्ध नहीं हुए या नतीजे की घोषणा में देर हुई। 95 कंपनियों में से 33 ने परिसंपत्ति जोड़ी जबकि 62 में गिरावट आई।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख अभिमन्यु सोफत के मुताबिक, कुल मिलाकर पूंजीगत खर्च मेंं सुधार में कुछ समय लग सकता है और इसका अपवाद दवा व केमिकल उद्योग हो सकता है।

First Published : January 25, 2021 | 12:18 AM IST