सरकार ने करीब दो साल पहले वाहन एवं वाहन कलपुर्जा उद्योग के लिए 25,938 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू की थी। मगर इसके लिए पात्र 84 आवेदकों में से महज 16 कंपनियां ही अपने मॉडलों के लिए स्थानीय मूल्यवर्धन संबंधी मानदंडों को पूरा कर पाई हैं जो प्रोत्साहन पात्रता के लिए आवश्यक हैं।
इन 16 कंपनियों को कुल 107 मॉडलों एवं कलपुर्जों के लिए मंजूरी मिल गई है। इन कंपनियों ने 31 जुलाई तक के आंकड़ों के आधार पर प्रोत्साहन हासिल करने के लिए पात्रता के स्थानीय मूल्यवर्धन संबंधी मानदंडों को पूरा कर लिया है। भारत में मोटर बनाने के लिए आवश्यक दुर्लभ खनिजों के आयात पर चीन के प्रतिबंधों के कारण 50 फीसदी स्थानीयकरण के लक्ष्य तक पहुंचना वाहन विनिर्माताओं के लिए कठिन हो सकता है। यही कारण है कि वाहन उद्योग स्थानीयकरण की गणना में मोटरों को शामिल न करने के लिए सरकार से अनुरोध कर रहा है।
शुरू में इस योजना को 1 अप्रैल 2022 से मार्च 2027 तक लागू किया गया था। मगर बाद में उसे 1 साल बढ़ाकर 2028 (1 अप्रैल 2023 से शुरू) कर दिया गया। एक वाहन विनिर्माता (ओईएम) के पहले मॉडल को 50 फीसदी स्थानीय मूल्यवर्धन को पूरा करने पर पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन के लिए 17 अगस्त 2023 को मंजूरी दी गई थी।
हालांकि स्थानीय मूल्यवर्धन मानदंडों को पूरा करने वाले मॉडल रखने वाली कंपनियों के रिकॉर्ड से एक अलग तस्वीर सामने आती है। प्रमुख ओईएम (कार, इलेक्ट्रिक कार, दोपहिया और तिपहिया वाहन) और वाहन क्षेत्र के नए निवेशकों (जैसे ओला) के बीच 20 कंपनियों में से महज 7 कंपनियों के पास ही ऐसे मॉडल हैं जिनके लिए आवेदन किया गया और स्थानीय मूल्यवर्धन की मंजूरी मिली है। इनमें से 15 कंपनियों के इलेक्ट्रिक वाहन सड़क पर मौजूद हैं। चार ऐसी कंपनियां भी हैं जिनके पास एक भी ईवी मॉडल नहीं है।
ध्यान देने की बात यह भी है कि ओईएम चैंपियन श्रेणी (दोपहिया और तिपहिया वाहनों को छोड़कर) में ऐसी कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी नहीं है जिसे स्थानीय मूल्यवर्धन मानदंडों को पूरा करने की मंजूरी मिली हो। इनमें सुजूकी, ह्युंडै, किया और पीसीए ऑटोमोबाइल्स सहित सभी घरेलू कंपनियां हैं।
वाहन कलपुर्जा के मामले में यह आंकड़ा काफी कमजोर है, जहां 64 पात्र कंपनियों में से महज 9 कंपनियों को ही पीएलआई प्रोत्साहन के लिए मंजूरी मिल पाई है। मगर परेशान करने वाली बात यह है कि करीब 3 कंपनियों को ट्रैक्शन मोटर्स या हब मोटर्स के साथ एकीकृत व्हील रिम बनाने की मंजूरी मिल गई है। मगर चीन में दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर पाबंदियों के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में भारत में उत्पादन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
नई कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने वाहन से इतर अन्य क्षेत्र के निवेशकों की एक श्रेणी तैयार की है जो पीएलआई के लिए पात्र हो सकते हैं। मगर अब तक ओला इलेक्ट्रिक के अलावा अन्य पात्र 5 कंपनियों में से किसी को भी एक भी मॉडल के लिए स्थानीय मूल्यवर्धन संबंधी हरी झंडी नहीं दी गई है।
पीएलआई के लिए एकमात्र बड़ी सफलता इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए चैंपियन ओईएम श्रेणी में दिखी है जहां 4 में से 3 (पियाजियो को छोड़कर) को कई मॉडलों के लिए मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।
कार के लिए चैंपियन ओईएम श्रेणी में शामिल 10 कंपनियों में से महज टाटा मोटर्स, एमऐंडएम, आयशर मोटर्स और पिनेकल मोबिलिटी को ही पीएलआई के लिए स्थानीय मूल्यवर्धन संबंधी मंजूरी मिली है। सुजूकी, अशोक लीलैंड, ह्युंडै, किया मोटर्स, पीसीए ऑटो मोबाइल्स सहित अन्य कंपनियों को किसी भी इलेक्ट्रिक मॉडल के लिए मंजूरी नहीं मिली है।