वित्तीय मंदी के बावजूद भारतीय उद्योग विकास बैंक (सिडबी) उत्तराखंड में अपनी सेवाएं मुहैया कराने के लिए अपनी भूमिका से पीछे नहीं हटा है।
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) के विकास और वित्त पोषण में लगी यह संस्था राज्य में घर-घर तक पहुंच कर अपनी सेवाएं मुहैया कराने को तैयार है। सेंट्रल इंडस्ट्रियल पैकेज (सीआईपी) के तहत कुछ रियायतों का लाभ हासिल करने के लिए सैकड़ों उद्योग इस पहाड़ी राज्य में नई इकाइयां स्थापित कर रहे हैं।
औद्योगिक शहर रुद्रपुर में हाल ही में अपनी दूसरी ब्रांच खोलने वाले सिडबी ने अब अपनी एक और ब्रांच को रुड़की में लॉन्च किया है। सिडबी, देहरादून के उप महाप्रबंधक एसएन गोवन ने कहा, ‘हम घर-घर तक अपनी सेवाएं मुहैया कराना चाहते हैं। इसलिए हम रुड़की में अपनी तीसरी ब्रांच खोल रहे हैं।’
महत्वपूर्ण बात यह है कि ये नई शाखाएं ऐसे समय खुल रही हैं जब वित्तीय मंदी को लेकर बाजार में चिंता कायम है। अन्य कंपनियों की तरह सिडबी भी मंदी की आंच से प्रभावित हुए बगैर नहीं रहा है।
गोवन ने कहा, ‘वित्तीय मंदी से हमारा लगभग 20-25 फीसदी व्यापार प्रभावित हुआ है।’ सिडबी अब अपने ग्राहकों से कह रहा है कि वह भुगतान के लिए व्यवस्था करने को तैयार है।
मौजूदा वक्त में वह पैसा चुकाने के लिए अतिरिक्त समय देने को भी तैयार है। सिडबी ऋण सुविधाएं, बैंक गारंटी, कार्यशील पूंजी, लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एलसी) आदि मुहैया करा रहा है। रुड़की की शाखा का उद्धाटन सिडबी के उप प्रबंध निदेशक राकेश रेवाड़ी द्वारा औपचारिक रूप से किया गया है।
नॉर्थन जोनल ऑफिस, नई दिल्ली के महाप्रबंधक केजी अलई ने कहा, ‘स्थूल परिवेश में आ रहे बदलावों के साथ इस क्षेत्र द्वारा विभिन्न क्षमताओं में और अधिक प्रभावी भूमिका निभाए जाने की संभावना है।
इन क्षमताओं में उन बड़ी कंपनियों के लिए विक्रेता आधार तैयार करना शामिल है जो भारत में बिक्री आधार बना रही हैं।’ उन्होंने कहा कि सिडबी ने महज एक रीफाइनेंसिंग एजेंसी की अपनी छवि में बदलाव किया है।
एमएसएमई की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिडबी ने अपनी छवि अधिक मजबूत और बाजार-उन्मुख संस्था के रूप में विकसित की है।