देश की सबसे बड़ी जहाज कंपनी शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड देश में बढ़ते कारोबार के मद्देनजर और अधिक जहाज खरीदने के लिए 5200 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी।
कंपनी के चेयरमैन एस हजारा ने एक साक्षात्कार में बताया कि अगले तीन वर्षों में कंपनी को मिलने वाले 28 जहाजों के लिए यह फंड भुगतान करेगा। हजारा का कहना है कि अधिकतर कर्ज विदेशों में ही लिया जाएगा, क्योंकि वहां यह सस्ता पड़ता है।
शिपिंग कॉर्पोरेशन और अन्य जहाज कंपनियां जिसमें निपॉन यूसेन के के अधिक कर्ज ले रही हैं, क्योंकि जहाजों की कीमत रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ चुकी हैं। यह भारतीय कंपनी जहाज बनाने की योजना भी बना रही है, क्योंकि दक्षिण कोरिया का यार्ड को अगले तीन वर्षों के लिए बुक किया जा चुका है।
स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स की क्रेडिट रेटिंग कंपनी क्रिसिल लिमिटेड में अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का कहना है, ‘भारत में अधिक विकास दर का मतलब है आयात और निर्यात गतिविधियों में तेजी।’ उनका कहना है, ‘लंबे समय में समुद्री जहाजों के लिए तेजी की संभावनाएं हैं।’ मुंबई की इस कंपनी को अपने पैसे को बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि भारत में कारोबार तेज हो रहा है।
भारतीय सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत में निर्यात 23 प्रतिशत बढ़कर 6220 अरब रुपये का हो गया है, जबकि निर्यात 27 फीसदी बढ़कर 9440 अरब रुपये हो गया है। भारत का लगभग 90 प्रतिशत कारोबार समुद्र के रास्ते होता है।
वह जापान की बड़ी शिपिंग कंपनी निपॉन यूसेन ने हाल ही में बताया था कि वह इस वर्ष बैंकों से अपने कर्ज की सीमा को 11 प्रतिशत बढ़ाकर लगभग 16 हजार करोड़ रुपये कर लेगी।
विदेशों में कर्ज
हजारा का कहना है कि शिपिंग कॉर्पोरेशन विदेशों में कर्ज लेने को तरजीह दे रही है क्योंकि वहां कर्ज लेना भारतीय बैंकों से लिए कर्ज से सस्ता पड़ता है। विदेशों में कर्ज पर लगभग 4 से 6 प्रतिशत का ब्याज देना पड़ता है, जबकि स्थानीय बाजारों में यह ब्याज दर कम से कम 9 प्रतिशत है।
अब शिपिंग कॉर्पोरेशन की क्षमता लगभग 50 लाख अप्रतिभूत ऋण टन की है। जब 4220 अरब रुपये के ऑर्डर किए जा चुके 28 जहाज कंपनी को मिल जाएंगे, तब उसकी क्षमता लगभग 50 प्रतिशत से और बढ़ जाएगी। हजारा का कहना है कि कंपनी इस पूंजी व्यय के लिए 80 प्रतिशत फंड ऋण के जरिये मुहैया कराएगी।
हजारा का कहना है कि शिपिंग कॉर्पोरेशन का टन भार 2014 के अंत तक उसके मौजूदा स्तर से दोगुना हो जाएगा, क्योंकि लगभग 16000 करोड़ रुपये की कीमत के बराबर के 40 और जहाज तब तक वह खरीद लेगी। अभी कंपनी के बेड़े में 80 जहाज हैं।
साप्ताहिक क्लार्कसन सूचकांक (हर तरह के जहाजों की कीमतों के लिए माप) तीन महीनों से भी अधिक समय में पहले बार 16 मई को ऊपर उठा, क्योंकि शिपयार्डों ने अपने उपभोक्ताओं से अधिक पैसे लिए थे। जहाज बनाने वाली कंपनियों ने तेल टैंकरों, कंटेनर जहाजों और अन्य जहाजों की कीमतों में इजाफा कर रही हैं।