इस साल जनवरी और फरवरी में भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए विलय और अधिग्रहण में पिछले साल जनवरी-फरवरी के मुकाबले करीब 80 फीसदी कमी आई है।
बैंकरों का अनुमान है कि घरेलू कंपनियों के मुनाफा मार्जिन में गिरावट और शेयर बाजार में उठापटक की वजह से सौदों के आकार छोटे हुए है, जिसका यह नतीजा है। अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट ने भी खरीदारों का हौसला कमजोर किया है।
रिफिनिटिव के आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस साल अब तक 3.3 अरब डॉलर कीमत के कुल 253 विलय-अधिग्रहण सौदे हुए हैं, जिनकी कीमत पिछले साल जनवरी-फरवरी के मुकाबले 80 फीसदी कम रही। भारतीय कंपनियों द्वारा विदेश में किए गए सौदे भी करीब 84 फीसदी घटकर महज 1.5 अरब डॉलर तक सीमित रह गए।
वित्तीय सेवा कंपनी इडलवाइस में निवेश बैंकिंग के प्रमुख गोपाल अग्रवाल ने कहा, ‘खरीदार कंपनियों के मार्जिन में सुधार होने का इंतजार कर रहे हैं और संभावित सौदे पर मार्च तिमाही के नतीजों के बाद निर्णय कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि अप्रैल के बाद सौदों की संख्या में इजाफा होगा।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 2,790 सूचीबद्ध कंपनियों (बैंकिंग, वित्त और बीमा को छोड़कर) का एकीकृत शुद्ध मुनाफा पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 14.2 फीसदी घटकर करीब 1.49 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में इन कंपनियों का एकीकृत शुद्ध मुनाफा 1.79 लाख करोड़ रुपये था।
बैंकरों ने कहा कि बीते तीन साल में अदाणी समूह ने आक्रामक तरीके से अधिग्रहण सौदे किए थे, लेकिन फिलहाल समूह बाजार में उतार-चढ़ाव से जूझ रहा है। उनका कहना है कि अदाणी समूह अपनी कंपनियों का मूल्यांकन स्थिर होने के बाद विलय-अधिग्रहण बाजार में वापस आ सकता है।
अग्रवाल ने कहा, ‘अधिकतर खरीदार सौदे पर निर्णय करने से पहले कुछ और समय तक इंतजार करना चाहते हैं क्योंकि परसंपत्तियों के मूल्यांकन में इजाफा होने की उम्मीद नहीं है।’
वैश्विक स्तर पर भी विलय और अधिग्रहण के आंकड़ों में इसी तरह का रुझान नजर आ रहा है। 2023 में अभी तक प्राइवेट इक्विटी समर्थित विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियां 50.7 अरब डॉलर की रहीं, जो एक साल पहले की तुलना में करीब 70 फीसदी कम हैं। बैंकरों ने कहा कि चालू कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में नरमी अस्थायी है और साल के बाकी बचे महीनों में भारत में सौदों की संख्या बढ़ जाएगी।
भारत में रियल एस्टेट और निजी क्षेत्र की कई कंपनियों में 50 अरब डॉलर का निवेश करने वाली प्रमुख वैश्विक निवेशक ब्लैकस्टोन के अधिकारियों ने कहा कि वे उचित मूल्यांकन पर बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट क्षेत्र में सौदे तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि सौदों में मौजूदा नरमी कुछ समय के लिए है।
ग्लोबल डेटा में लीड विश्लेषक अरुज्योति बोस ने कहा, ‘निवेशकों का हौसला कई कारणों से प्रभावित हुआ है और इनमें सबसे प्रमुख वृहद आथिक चुनौतियां, मंदी का डर तथा स्टार्टअप के मूल्यांकन से संबंधित चिंता हैं।’