बाजार नियामक ने पेटीएम का संचालन करने वाली वन97 कम्युनिकेशंस (ओसीएल) को संबंधित पक्ष के लेनदेन (आरपीटी) के संबंध में प्रशासनिक चेतावनी जारी की है। फिनटेक कंपनी ने यह जानकारी दी है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार नोएडा की कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों ने वित्त वर्ष 22 में शेयरधारकों और लेखा परीक्षा समिति की मंजूरी के बिना सहयोगी इकाई पेटीएम पेमेंट्स बैंक के साथ ऐेसे दो लेनदेन किए थे।
सेबी की चेतावनी का जवाब देते हुए पेटीएम ने कहा कि उसने ‘निरंतर अनुपालन में काम किया है।’ कंपनी ने बयान में कहा, ‘वह उच्चतम अनुपालन मानकों को बनाए रखने और पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है और सेबी को अपना जवाब भी पेश करेगी।
पत्र के कारण कंपनी की वित्तीय, परिचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ा है।’ सेबी की यह चेतावनी दो लेनदेन से संबंधित है, जिसमें पेटीएम पेमेंट्स बैंक से ओसीएल द्वारा ली गई सेवाएं और कंपनी द्वारा बैंक को प्रदान की गई सेवाएं शामिल हैं। इन लेनदेन की राशि 324 करोड़ रुपये और 36 करोड़ रुपये आंकी गई है।
सेबी ने कंपनी के अनुपालन अधिकारी को भेजे पत्र में कहा ‘इन उल्लंघनों को बहुत गंभीर माना गया है। इसलिए आपको भविष्य में सावधान रहने और भविष्य में ऐसे मामलों के दोहराव से बचने के लिए अपने अनुपालन मानकों में सुधार करने की चेतावनी दी जाती है, ऐसा न करने पर कानून के अनुसार उचित प्रवर्तन कार्रवाई शुरू की जाएगी।’ नियामक ने पेटीएम को कंपनी के निदेशक मंडल के सामने अपना पत्र पेश करने के लिए कहा है। उसने सुधार की कार्रवाई के लिए कहा है, जिसके बाद 10 दिन के भीतर सेबी को कार्रवाई रिपोर्ट देनी होगी।
संबंधित पक्ष लेनदेन के संबंध में नवीनतम चेतावनी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर की गई कार्रवाई के बाद सामने आई है। जनवरी में आरबीआई ने लगातार गैर-अनुपालन की वजह से पेमेंट्स बैंक पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे।
परिणामस्वरूप पेटीएम ने वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 549.6 करोड़ रुपये का व्यापक समेकित घाटा दर्ज किया था जबकि वित्त वर्ष 23 में इसी तिमाही के दौरान यह 168.4 करोड़ रुपये था। तिमाही आधार पर यह घाटा वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही के 219.8 करोड़ रुपये से दोगुना हो गया।
संबंधित पत्र लेनदेन का मतलब दो कंपनियों या पक्षों के बीच साझा या पहले से मौजूद वित्तीय संबंध रखने वाली कारोबारी व्यवस्था है। ऐसे लेनदेन नियामकों की जांच के दायरे में आ सकते हैं क्योंकि उनमें हितों का टकराव होने की संभावना रहती है।