भारत में बेबी केयर प्रोडक्ट के बढ़ते बाजार पर दुनियाभर की कंपनियां नजर गढ़ाए हुए हैं। भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए जर्मन कंपनी सैनोसन (Sanosan) देशभर में अपने उत्पाद उतारेगी। अगले पांच साल में कंपनी भारत में अपनी उत्पादन इकाई शुरू करेगी और अगले 10 साल में बाजार में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने की रणनीति तैयार करने में लगी हुई है।
प्रीमियम मेड इन जर्मनी बेबी स्किनकेयर ब्रांड, सैनोसन ने भारतीय बाजार में अपने दो साल पूरे करने के अवसर पर अपनी रणनीतियों का खुलासा किया। हालांकि पिछले दो साल में कंपनी भारतीय बेबी केयर प्रोडक्ट बाजार में महज पांच फीसदी की हिस्सेदारी हासिल कर पाई है।
कंपनी की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन स्टीगर ने बताया कि अप्रैल 2021 में भारतीय बाजार में अपने सफल लॉन्च के बाद, सैनोसन ने पहले वर्ष में ही ट्रिपल डिजिट ग्रोथ दर्ज किया और अगले वर्षों में लगातार साल-दर-साल सराहनीय वृद्धि बनाए रखी है। उन्होने कहा कि कंपनी भारत में अपनी उत्पादन इकाई शुरू करने पर विचार कर रही है ताकि मेक इन इंडिया के तहत भारतीय बाजार में उत्पाद उपलब्ध हो। इस क्षेत्र में हम भारतीय बाजार में सबसे बड़ी कंपनी बनने की रणनीति के तहत बाजार में उतरे है। शुरुआती अध्ययन पूरा हो चुका है अब कंपनी आक्रामकता के साथ अपने उत्पादों के देश के हर शहर में उतारेगी।
भारत में सैनोसन बेबी उत्पादों को घर-घर पहुंचाने की जिम्मेदारी लेनी वाली ग्लोडर्मा के प्रबंध निदेशक राजेश खत्री ने कहा कि सैनोसन ब्रांड दुनिया के 72 से अधिक देशों में लोकप्रिय है। भारत में ब्रांड सैनोसन ने एक लाख से अधिक भारतीय माताओं तक पहुंचने की उपलब्धि हासिल की है। भारत में प्रीमियम बेबी स्किनकेयर सेगमेंट में एक प्रमुख ब्रांड के रूप में उभर चुका है।
ग्लोडर्मा के निदेशक (सेल्स एंड मार्केटिंग) राजेंद्र मेहता ने कहा कि कम समय में सैनोसन बेबी ने भारतीय बाजार में महत्वपूर्ण वृद्धि प्रदर्शित की है। हमें बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। हम भारत में प्रीमियम बेबी स्किनकेयर सेगमेंट में निर्णायक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए सैनोसन ब्रांड का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। कंपनी के प्रमुख उत्पादों में बेबी साबुन, शैम्पू, लोशन, केयर ऑयल और बेबी केयर क्रीम है। कंपनी ने पूरे भारत में 850 से अधिक डीलरों और वितरकों की नियुक्ति की है।
दरअसल भारत में बेबी केयर प्रोडक्ट का बाजार 2028 तक 26.31 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। पैकेजिंग और शिशु उत्पादों में बढ़ती तकनीकी प्रगति के कारण, बाजार में 2023-2028 की अनुमानित अवधि में 15.3 फीसदी की सीएजीआर से वृद्धि होने की उम्मीद है। इसलिए दुनियाभर की कंपनियां इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने में लगी हुई है।