देश की बिजली मांग और आपूर्ति दो वर्ष से कोविड महामारी के हमले और अब ओमिक्रॉन संकट से अनिश्चितता गहराने के कारण चौराहे पर खड़ी है। गैर-कोविड वर्षों (2018 और 2019) की तुलना में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में जबरदस्त वृद्घि हो रही है। लेकिन यदि ताप बिजली यानी कि कोयला और गैस से उत्पादित होने वाली बिजली की बात करें तो विद्युत आपूर्ति की रीढ़ होने के बावजूद इसकी वृद्घि कमजोर पड़ रही है।
अप्रैल से नवंबर, 2021 की अवधि के लिए अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 2018 की समान अवधि की तुलना में 29 फीसदी और 2019 की समान अवधि की तुलना में 22 की वृद्घि हुई है। 2020 की समान अवधि में इसकी वृद्घि थोड़ी कमजोर पड़कर 17 फीसदी रही थी। 2021 की अप्रैल से नवंबर की अवधि में ताप बिजली उत्पादन में उससे पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्घि दर्ज की गई। यही स्थिति तब भी थी जब मांग में कोविड की पहली लहर के कारण रिकॉर्ड स्तर की कमी आई थी।
बिजली मांग में तेज उतार चढ़ाव और आयातित गैस कीमतों में उछाल तथा घटते कोयला स्टॉक ने 2021 में ताप इकाइयों को प्रभावित किया। गैस आधारित बिजली इकाइयां 18 फीसदी प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) या परिचालन अनुपात और अप्रैल से नवंबर 2021 के दौरान मुश्किल से 26.9 अरब यूनिट विद्युत उत्पादन के साथ तीन वर्ष के निचले स्तर पर हैं। यह इस अवधि के दौरान के कुल 878 अरब यूनिट उत्पादन का 3 फीसदी है।
2021 में अगस्त से अक्टूबर के बीच अधिकांश ताप बिजली संयंत्रों पर कोयला स्टॉक घटकर 4 दिन से भी कम के संकटपूर्ण स्तर पर पहुंच गया था। यह स्थिति तब भी थी जब कोविड की दूसरी लहर से बाहर निकलने के बाद बिजली मांग दोबारा से उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। अब मांग घटने से ताप विद्युत इकाइयों में कोयला भंडार 10 से 11 दिनों के स्टॉक के सामान्य स्तर पर है।
2020 में अप्रैल से नवंबर के दौरान कोयला उत्पादन में 5 फीसदी की कमजोर वृद्घि हुई थी लेकिन यह 2018 की तुलना में 0.24 फीसदी अधिक थी। हालांकि, कोल इंडिया (सीआईएल) मांग को पूरा करने को लेकर आश्वस्त है।
हाल ही में इस राष्ट्रीय खनन कंपनी ने कहा था कि वह चालू वित्त वर्ष के अंत तक ताप विद्युत संयंत्रों में 4.5 करोड़ टन से अधिक कोयला स्टॉक भरने का लक्ष्य लेकर चल रही है।