रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड को भरोसा है कि उसकी गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाई रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) कर्ज संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) से कंपनी की ब्याज सहित करीब 950 करोड़ रुपये की मियादी जमा राशि वापस लेने में कामयाब होगी। बैंक के अधिकारियों ने रेलिगेयर के पूर्व प्रवर्तक सिंह बंधुओं के साथ मिलकर मियादी जमा राशि का कथित रूप से दुरूपयोग किया।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की चेयरपर्सन रश्मि सलूजा ने कहा कि एलवीबी ने रेलिगेयर के पूर्व प्रवर्तकों और उनकी निजी इकाइयों को दिए गए कर्ज की वसूली को लेकर 750 करोड़ रुपये की एफडी का निपटान कर दिया, जबकि ऐसा करने का उनके पास कोई अधिकार नहीं था। आरएफएल अपनी रकम की वसूली और दोषियों को सजा दिलाने को लेकर मामले पर नजर रख रही है। सलूजा ने कहा, ‘हमने पैसे की वसूली को लेकर मुकदमा किया है। न्याय को लेकर कंपनी के सक्रिय रुख की वजह से ही पूर्व प्रवर्तक और प्रबंधन जेल में हैं। उन लोगों ने धन की हेराफेरी की।’ बैंक के उन अधिकारियों को भी माफ नहीं किया जाएगा जिन्होंने पूर्व प्रवर्तकों और उनकी निजी कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज के एवज में मियादी जमा (एफडी) को समायोजित करने को लेकर कथित रूप से गड़बड़ी की।
सलूजा ने कहा, ‘हमने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को शिकायत की है। उन्होंने मामले की पूरी जांच की है और पाया कि लक्ष्मी विलास बैंक के अधिकारियों ने एफडी के गलत उपयोग को लेकर पूर्व प्रवर्तकों के साथ साठगांठ की।’ उन्होंने कहा कि आरएफएल इस मामले में मजबूत स्थिति में है और अपना पैसा वापस चाहती है। प्रवर्तन निदेशालय समेत जांच एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं और आरएफएल को लक्ष्मी विलास बैंक और सिंह बंधुओं से धन वसूली की उम्मीद है।