भले ही नवीन जिंदल के स्वामित्व वाला जेएसपीएल समूह भी अनिल अंबानी की दिवालिया शिपयार्ड कंपनी रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग खरीदने की दौड़ में शामिल हो गया है, लेकिन राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) ने ऋणदाताओं को समाधान प्रक्रिया पूरी करने के लिए अन्य पांच महीने का समय दिया है।
कंपनी 11,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुका पाई है। जिंदल के अलावा, अन्य प्रमुख दावेदार हैं रूस सरकार के स्वामित्व वाला यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन और अमेरिकी फंड इंटरप्स।
एनसीएलटी के अहमदाबाद पीठ ने आर-नेवल की समाधान प्रक्रिया पूरी करने के लिए 153 दिनों का विस्तार देकर इसे इस साल अगस्त तक बढ़ा दिया है। इसके साथ, रिजोल्यूशन पेशेवर ने बोली सौंपने की तारीख पांचवीं बार बढ़ाकर 15 मार्च किए जाने की मांग की। ऋण समाधान में मुख्य तौर पर कोविड-19 महामारी की वजह से बोलीदाताओं से धीमी प्रतिक्रिया के कारण विलंब हुआ था।
जिंदल और रूस सरकार, दोनों ने फरवरी के आखिरी सप्ताह के दौरान जहाज कंपनी की जांच पूरी की और रूस सरकार की पांच सदस्यीय टीम ने इस सप्ताह अपनी जांच पूरी की। पीपावाव शिपयार्ड को गोवा की चौगुले इंडस्ट्रीज और एपीएम टर्मिनल्स कंपनी के साथ साथ इन्वेंट एआरसी से अनुरोध पहले ही प्राप्त हो गए थे, इन सभी तीनों संभावित बोलीदाताओं ने बैंकों के लिए शर्तों को अस्वीकार कर दिया। इसके अलावा, समाधान योजना में कानूनी बाधाएं भी आईं। यह शिपयार्ड गुजरात के पीपावाव में किराए की भूमि पर स्थित है, जहां समुद्री किनारे स्थित बंदरगाह स्थान गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से किराए पर लिया गया है और सेज साइट ई-कॉम्पलेक्स (रिलायंस नेवल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) से लीज पर ली गई है। आर-नेवल को गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से लीज पर ली गई भूमि के लिए लीज टर्मिनेशन नोटिस पहले ही मिल गया था, जबकि ई-कॉम्पलेक्स भी एनसीएलटी के जरिये समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। इसके साथ शिपयार्ड पर, मौजूदा स्थान कानूनी विवाद के अधीन है और क्या संभावित खरीदार इस शिपयार्ड के इस्तेमाल में सक्षम होगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
इसे ध्यान में रखते हुए, संभावित बोलीदाताओं ने रक्षा तथा भारतीय नौसेना एवं तटरक्षक मंत्रालय से इस संबंध में आश्वासन मांगा है कि नए ऑर्डर नए खरीदारों को अपने जोखिम एवं निवेश पर भुगतान करने के आधार पर दिए जाने चाहिए। लेकिन भारत सरकार किसी भी बोलीदाता (रूस सरकार भी शामिल) को आश्वासन मुहैया कराने को तैयार नहीं है और उसका कहना है कि शिपयार्ड के संदर्भ में संभावित शिपबिल्डिंग ऑर्डरों के लिए प्रतिस्पर्धी बोली के लिए तय नियमों पर अमल किया जाना चाहिए। एलऐंडटी भारतीय जहाज निर्माण क्षेत्र में अन्य बड़ी कंपनी है।
दो अन्य निजी शिपयार्ड कंपनियां एबीजी शिपयार्ड और भारती शिपयार्ड भी पिछले चार साल से खरीदार तलाशने में विफल रही हैं, क्योंकि रक्षा मंत्रालय निजी जहाज कंपनियों को जहाजों के ऑर्डर देने का जोखिम लेने को इच्छुक नहीं दिख रहा है, क्योंकि ये कंपनियां दिवालिया
हो गई थीं और ऑर्डर पूरे करने में सक्षम नहीं थीं।
एसपी समूह के खिलाफ अदालत पहुंचा बैंक ऑफ बड़ौदा
रिलायंस होम फाइनैंस (आरएचएफएल) के मुख्य लेनदार बैंक ऑफ बड़ौदा ने एसपी समूह के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया जब उसने समाधान प्रक्रिया में शामिल होने से इनकार कर दिया। लेनदारों ने कहा कि एसपी समूह, आरएचएफएल की समाधान प्रक्रिया को अटका रहा है और अन्य लेनदारों के साथ सहयोग नहीं कर रहा है। इस मामले पर 10 मार्च को सुनवाई होगी। मामले के समाधान के लिए लेनदार, एसपी समूह के साथ बातचीत कर रहे हैं। नवंबर 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय से एसपी समूह को स्थगन आदेश मिलने के बाद आरएचएफएल के लेनदार समाधान प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। बीएस