भारतीय लेनदारों ने रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग के दो अग्रणी बोलीदाताओं से बातचीत शरू की है और उन्हें दिवालिया कंपनी के लिए बोली की रकम में इजाफा करने को कहा है। दो बोलीदाता हाजेल मर्केंटाइल और नवीन जिंदल समूह इस कंपनी के अधिग्रहण की दौड़ में बने रहे, जिसने बैकों के 12,500 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की है।
एक सूत्र ने कहा, हमने दोनों बोलीदाताओं से बोली की रकम और बेहतर करने को कहा है और हमें उनसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। अग्रणी बोलीदाता हाजेल मर्केंटाइल ने 2,100 करोड़ रुपये की पेशकश की ही जबकि जिंदल ने लेनदारों को करीब 400 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है।
दोनों संशोधित प्रस्तावों पर मतदान के जरिये लेनदार अगले दो हफ्ते के भीतर इस सौदे को पूरा करने की योजना बना रहे हैं। जंगी जहाज और ऑफशोर सप्लाई व्हीकल बनाने वाली कंपनी को पिछले साल जनवरी में एनसीएलटी भेजा गया था जब उसने कर्ज के पुनर्भुगतान में चूक की।
कंपनी का कर्ज तब बढ़ गया जब कंपनी समय पर ओएनजीसी को जहाजों की डिलिवरी करने में नाकाम रही। तेल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने 2009-10 में 12 ऑफशोर सप्लाई व्हीकल का ऑर्डर दिया था। इसमें से सिर्फ सात जहाज की डिलिवरी ही 2015-16 तक हो पाई। ओएनजीसी ने तब ऑर्डर रद्द कर दिया और वित्त वर्ष 2018-19 में बैंक गारंटी भुना ली। इस वजह से कंपनी पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा। कंपनी की तरफ से ओएजीसी के खिलाफ मध्यस्थता याचिका अभी लंबित है। कंपनी को कर्ज समाधान के लिए भेजे जाने के बाद उसका ऑर्डर बंद हो गया और उसने मार्च 21 में समाप्त वित्त वर्ष में 75 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया और उसे 1,621 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
परिचालन में आने के बाद कंपनी भारतीय सेना को तकनीक से लैस जहाज भारत में विनिर्मित कर मदद कर सकती है और इस तरह से विदेशी मुद्रा की बचत होगी। अभी ऐसे जहाज का निर्माण सरकारी स्वामित्व वाले यार्ड और विदेशों में होता है।